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नौकरशाहों को बुलाना गलत नहीं, केंद्र का संवैधानिक अधिकार : विशेषज्ञ

पश्चिम बंगाल में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले को लेकर राज्य के अधिकारियों को दिल्ली बुलाए जाने को लेकर राजनीति तेज हो गई है. इस सब के बीच ई़टीवी भारत ने आईएएस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष और प्रख्यात अर्थशास्त्री से बात की, दोनों का कहना है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है.

एक्सपर्ट
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Published : Dec 14, 2020, 9:59 PM IST

कोलकाता :पश्चिम बंगाल में पिछले गुरुवार को एक रैली के दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर हुए हमले को लेकर राजनीतिक और अफसरशाही हलकों में चर्चा का दौर तेज है. पूरा मामला सामने आने के बाद विस्तृत चर्चा के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव, अलापन बंदोपाध्याय और राज्य पुलिस महानिदेशक वीरेंद्र को नई दिल्ली तलब किया.

हालांकि दोनों अधिकारी बैठक में नहीं गए. साथ ही पिछले शुक्रवार को बंदोपाध्याय ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को पत्र भेजकर बैठक में व्यक्तिगत उपस्थिति से राहत मांगी. इस मुद्दे पर राजनीतिक कीचड़ उछाला जा रहा है.

यह मानना कि दोष देने के लिए बुलाया, गलत है
पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव और आईएएस एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सुनील मित्रा गृह मंत्रालय की कार्रवाई को सही ठहराते हैं, उनका कहना है कि यह सच है कि कानून और व्यवस्था एक राज्य का विषय है लेकिन अगर कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है, तो संघ सरकार राज्य सरकार के नौकरशाहों को चर्चा के लिए बुला सकती है. इसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं है.

उनका कहना है कि यह मान लेना गलत होगा कि मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक को दोष देने के लिए बुलाया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी मिसाल है, जहां केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के नौकरशाहों को चर्चा के लिए बुलाया है. अब, राज्य के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक बैठक में क्यों नहीं गए, यह उनका मामला है.

केंद्र की अनदेखी कर गलती कर रहे अफसर
प्रख्यात अर्थशास्त्री विशेषज्ञ और प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अमल कुमार मुखोपाध्याय का कहना है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 355 संघ सरकार को राज्य सरकार के किसी भी नौकरशाह को बुलाने का अधिकार देता है. उनका कहना है कि बल्कि मैं कहूंगा कि इस मामले में मुख्य सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक उस कॉल को अनदेखा करके गलती कर रहे हैं.

नड्डा पर इस हमले के बाद राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दी है. इसके बाद, एमएचए ने राज्य सरकार की रिपोर्ट लेने के लिए मुख्य सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक तलब किया है. एमएचए सीधे मुख्यमंत्री से रिपोर्ट नहीं मांगता, इसलिए उसने मुख्य सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक को बैठक में बुलाया है.

दोनों अधिकारी केंद्र के प्रति जवाबदेह
मुखोपाध्याय ने यह भी बताया कि यद्यपि मुख्य सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक राज्य सरकार को अनुच्छेद 310 (1) के तहत सामान्य रिपोर्ट देते हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनका कैडर नियंत्रण प्राधिकरण है. इस मायने में, मुख्य सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक दोनों ही केंद्र सरकार के प्रति जवाबदेह हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष हमले को लेकर पहले ही दोनों अफसरों की आलोचना कर चुके हैं. दोनों अफसर शर्म के कारण शायद बैठक में नहीं जाना चाहते.

पढ़ें- नड्डा पर हुए हमले पर बोले बीजेपी नेता, कहा-बंगाल में हुई हत्या की साजिश

कानून और व्यवस्था राज्य का विषय : तृणमूल कांग्रेस
तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य कल्याण बंदोपाध्याय के अनुसार, मुख्य सचिव और राज्य पुलिस महानिदेशक को बुलाना असंवैधानिक है और देश के संघीय ढांचे के विपरीत. उनका कहना है कि 'कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है.

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