प्रयागराज:गुरुवार कोइलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि बिना किसी आधार के जीवनसाथी के साथ लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता (Allahabad High Court on Physical relationship) है. कोर्ट ने इसे आधार मानते हुए वाराणसी के एक दंपती के विवाह विच्छेद की अनुमति दे दी. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार एवं न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने वाराणसी के रविंद्र प्रताप यादव की अपील को स्वीकार करते हुए गुरुवार को दिया.
पति पत्नी के यौन संबंध पर इलाहबाद हाईकोर्ट में मामले के तथ्यों के अनुसार वाराणसी पारिवारिक न्यायालय ने अपीलार्थी पति की विवाह विच्छेद की अर्जी खारिज कर दी थी. अपीलार्थी ने इस आदेश को अपील के माध्यम से चुनौती दी थी. अपील के मुताबिक याची का विवाह 1979 में हुआ था. विवाह के कुछ समय बाद पत्नी का व्यवहार और आचरण बदल गया. उसने पत्नी के रूप में रहने से इनकार कर दिया. आग्रह के बावजूद वह पति से दूर रही. शारीरिक संबध नहीं बने, जबकि दोनों एक ही छत के नीचे रहते थे. कुछ दिन बाद पत्नी मायके चली गई.