नई दिल्ली:ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) ने सोमवार को दोहराया कि पूर्वोत्तर के लोग नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 को कभी स्वीकार नहीं करेंगे. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने CAA की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को 6 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है. कुल मिलाकर 232 याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने सुनवाई की. अगली तारीख से पहले मामले से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेजों के संकलन के लिए दो नोडल काउंसल भी नियुक्त किए हैं.
AASU के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य (AASU chief advisor Samujjal Kumar Bhattacharya) ने यहां नई दिल्ली में 'ईटीवी भारत' से कहा कि असम और पूरा पूर्वोत्तर पिछले कई दशकों से बाहरी घुसपैठ और आंतरिक अशांति के मुद्दे का सामना कर रहा है. भट्टाचार्य ने कहा, 'सीएए लागू करके केंद्र सरकार पूर्वोत्तर में अवैध प्रवाह को डंप करना चाहती है. सीएए असम समझौते की भावना के खिलाफ जाता है. पूर्वोत्तर अवैध विदेशियों के लिए डंपिंग ग्राउंड नहीं हो सकता है.'
गौरतलब है कि 1985 में केंद्र की तत्कालीन सरकार और राज्य सरकार ने ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसके तहत वर्षों से चले आ रहे असम आंदोलन को समाप्त करने की कोशिश की गई थी. भट्टाचार्य ने कहा, 'हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है. हमें विश्वास है कि सीएए को वापस लेने से न्याय मिलेगा.' उन्होंने कहा, 'अगर सीएए खराब है और इनर लाइन परमिट और 6 अनुसूचित क्षेत्रों से इसकी जांच की जाती है, तो यह पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों के लिए कैसे अच्छा हो सकता है.'
कुल 232 याचिकाओं में से 53 पूर्वोत्तर से हैं. 50 याचिकाएं असम से और तीन त्रिपुरा से दायर की गई हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त नोडल काउंसलों को सलाह दी गई है कि वे अन्य बातों के अलावा भौगोलिक और धार्मिक वर्गीकरण के आधार को ध्यान में रखते हुए कुछ अन्य मामलों को प्रमुख मामलों के रूप में नामित करने पर विचार करें.