नई दिल्ली : जयचंद, जुमलाजीवी, तानाशाह, दलाल, बाल बुद्धि सांसद, संवेदनहीन, खरीद फरोख्त, कटमनी, कमीना, करप्शन, तुर्रम खां, गुंडागर्दी और गुंडों की सरकार जैसे शब्दों का इस्तेमाल अब सांसद सभा में नहीं कर पाएंगे. संसद के दोनों सदनों - लोक सभा और राज्य सभा में इस तरह के शब्दों के इस्तेमाल को असंसदीय माना गया है और सदन में गलत बर्ताव करार देते हुए इन्हें सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाएगा. इसका तात्पर्य यह है कि अगर कोई सांसद चर्चा या हंगामे के दौरान असंसदीय घोषित किए गए शब्दों का इस्तेमाल करता है तो उस हिस्से को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया जाएगा. इस सूची में कई और शब्द जोड़े गए हैं. जिनका विपक्ष विरोध कर रहा हैं.
शिवसेना से राज्यसभा की सासंद प्रियंका चतुर्वेदी, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर इस सूची पर आपत्ति जताई है. शिवसेना से राज्यसभा सासंद प्रियंका चतुर्वेदी ने इससे संबंधित एक अखबार की खबर को संबोधित करते हुए ट्वीट किया कि “अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ़, वाह मोदी जी वाह !” यह पॉप्युलर मीम अब सच्चाई होती नजर आ रही है! संसद में कुछ शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए जाने के मामले पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कहा कि संसद में एक किताब बनती है जिसमें लिखा होता है कि कौन से शब्द असंसदीय हैं और कौन से संसदीय होते हैं. उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी ने) जो शब्द अपने संसदीय जीवन में कहे और बोले हैं वही शब्द हम बोलेंगे और उनको बताएंगे कि उनकी बहस में उन्होंने क्या कहा. वे जब खुद कहते हुए आए हैं आज उनको क्यों लग रहा है कि यह शब्द ठीक नहीं है.