नई दिल्ली :मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के व्यापक प्रयासों के लिए ईरानी कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी (Narges Mohammadi) को शुक्रवार को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
51 वर्षीय नरगिस डिफेंडर्स ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की उप निदेशक हैं और वर्तमान में तेहरान की एविन जेल में बंद हैं. उन्हें 13 बार कैद किया गया और पांच बार दोषी ठहराया गया. उन्हें कोड़े मारने की सजा हो चुकी है. उन्हें करीब 31 साल की सजा हुई है.
मोहम्मदी की हालिया कैद महसा अमिनी के स्मारक में शामिल होने के बाद शुरू हुई. पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय युवक की मौत से पिछले साल ईरान शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर आक्रोश और व्यापक प्रदर्शन हुए थे.
नोबेल समिति ने लिखा, 'सितंबर 2022 में ईरानी मॉरल पुलिस की हिरासत में महसा जीना अमिनी की मौत हो गई, जिससे ईरान के शासन के खिलाफ राजनीतिक प्रदर्शन शुरू हो गए. प्रदर्शनकारियों द्वारा अपनाया गया आदर्श वाक्य - 'महिला जीवन स्वतंत्रता' नरगिस मोहम्मदी के समर्पण और कार्य को उपयुक्त रूप से व्यक्त करता है.'
पढ़ाई के दौरान ही उठाने लगी थीं महिलाओं के हक की आवाज :अगर उनकी पढ़ाई और करियर के बारे में बात की जाए तो नरगिस के पास भौतिकी में डिग्री है और उन्होंने एक इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया. मोहम्मदी अपने पढ़ाई के वर्षों के दौरान छात्र समाचार पत्र के लिए लिखते हुए समानता और महिलाओं के अधिकारों को उठाने वाली महिला के रूप में उभरीं. उन्हें एक राजनीतिक छात्र समूह की दो बैठकों में भी गिरफ्तार किया गया था. 2009 में जेल की सजा के बाद कार्यकर्ता ने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी खो दी. नरगिस मोहम्मदी ने कई सुधारवादी प्रकाशनों के लिए पत्रकार के रूप में काम किया और मृत्युदंड, महिलाओं के अधिकारों और विरोध के अधिकार के उन्मूलन के लिए अभियान चलाया.
इन वर्षों में उन्होंने ईरान में सामाजिक सुधारों के लिए बहस करते हुए कई लेख लिखे. एक निबंध संग्रह, द रिफॉर्म्स, द स्ट्रैटेजी, एंड द टैक्टिक्स प्रकाशित किया है. उनकी पुस्तक 'व्हाइट टॉर्चर: इंटरव्यूज़ विद ईरानी वूमेन प्रिज़नर्स' ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और मानवाधिकार फोरम में रिपोर्ताज के लिए पुरस्कार भी जीता है.