नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने आज कहा कि देश को स्वतंत्र हुए 70 सालों से अधिक हो चुके हैं, लेकिन इतन सालों बाद भी भारत अभी भी महिलाओं के प्रतिनिधित्व में पीछे है, क्योंकि अब तक महिलाओं का प्रतिनिधित्व 50 फीसदी होना चाहिए था जो सिर्फ 11 प्रतिशत है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में तैंतीस में से चार महिला न्यायाधीश हैं. स्थापना के बाद से अब तक, सर्वोच्च न्यायालय में 250 से अधिक न्यायाधीशों में से केवल ग्यारह महिला न्यायाधीश रही हैं.
उच्च न्यायालय में अपने अभ्यास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए शौचालय नहीं थे और महिलाओं को लंबी लाइनों में इंतजार करना पड़ता था. सीजेआई रमना बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा उनके लिए आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे.
न्यायपालिका के सामने आने वाले मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि बुनियादी ढांचे की कमी है. इसके अलावा कर्मचारियों की भी कमी है. उन्होंने कहा कि हमने जो बुनियादी ढांचा बनाया है, उसका अधिकांश हिस्सा अंग्रेजों ने बनाया है और जो अतिरिक्त इमारतें बनी हैं, वे पर्याप्त नहीं हैं.
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मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैंने देश के कोने-कोने से ब्योरा इकट्ठा करते हुए एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसे मैं एक हफ्ते में कानून मंत्री को दूंगा. रिक्तियों के बारे में बात करते हुए, उन्होंने उच्चतम न्यायालय में नियुक्ति के लिए नौ न्यायाधीशों के नामों को तेजी से मंजूरी देने के लिए सरकार की प्रशंसा की. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें उच्च न्यायालयों के मामले में भी समान गति की उम्मीद है ताकि 90% रिक्तियों को भरा जा सके.