नांदेड़: डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 24 घंटे में 12 नवजात शिशुओं सहित 24 लोगों की मौत के मामले में बड़ी बात सामने आई है. अस्पताल प्रशासन की ओर से अस्पताल में किसी भी तरह की लापरवाही और कमी से इनकार किया गया है. हालांकि, राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा कि इस घटना की जांच के आदेश दे दिए गए है.
डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के डीन श्यामराव वाकोडे ने इस बात पर जोर दिया कि दवाओं या डॉक्टरों की कोई कमी नहीं थी. वहीं, मरीजों की उचित देखभाल की गई, लेकिन इलाज का कोई असर नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ मरीज आर्सेनिक और फास्फोरस जैसे खतरनाक कैमिकल से प्रभावित थे. साथ ही कई बीमारी सांप के काटने आदि से पीड़ित थे.
बताया जा रहा है कि अस्पताल में पिछले 24 घंटों में 24 मरीजों की जान चली गई. इनमें 12 बच्चे शामिल थे. ये बच्चे अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित थे. वयस्कों में 70 से 80 साल की उम्र के 8 मरीज थे. मरीज डायबिटीज, लीवर फेलियर और किडनी फेलियर जैसी अलग-अलग समस्याओं से जूझ रहे थे. मरीज आमतौर पर गंभीर स्थिति में यहां आते हैं.
ये भी पढ़ें- 24 Dead In Nanded Hosp: महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल में 24 लोगों की मौत पर खरगे ने जताया शोक, सरकार से की जांच की मांग
वाकोडे ने कहा, 'विभिन्न कर्मचारियों के स्थानांतरण के कारण अस्पताल में कुछ कठिनाई हुई. हाफकिन इंस्टीट्यूट से दवाएँ खरीदनी थीं लेकिन वह भी नहीं हुआ. इसके अलावा, इस अस्पताल में दूर-दूर से मरीज आते हैं और वहाँ थे कई मरीज जिनका स्वीकृत बजट भी गड़बड़ा गया है.' मंगलवार को कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने मामले की विस्तृत जांच की मांग करते हुए कहा कि घटना बेहद दर्दनाक, गंभीर और चिंताजनक है. दो महीने पहले ठाणे में हुई इसी तरह की घटना को याद करते हुए खड़गे ने कहा कि 18 मरीजों की जान चली गई और ऐसे हादसे राज्य सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हैं.