कोलकाता: बंगाली समाज में आज यानी 5 जून को 'जमाई षष्ठी' मनाया जाता है. इस दिन दामादों का ससुराल में विशेष स्वागत किया जाता है. आज का यह दिन जीरो शैडो-डे ( zero shadow day ) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन परछाई नहीं बनती है. रॉबर्ट लुइस स्टीवेन्सन की प्रसिद्ध कविता 'माई शैडो' को याद करें, जहां छोटे लड़के ने शिकायत की थी कि परछाई दिन भर उसके साथ रहती है. 'मेरे पास एक छोटी सी परछाई है जो मेरे साथ आती- जाती है. यह एड़ी से लेकर सिर तक मेरे समान है. जब मैं अपने कूदता हूं तो मैं उसे अपने सामने कूदता हुआ देखता हूं.'
लेकिन रविवार को जमाई षष्ठी (एक बंगाली अनुष्ठान जहां दामादों का स्वागत किया जाता है) के दिन परछाई नहीं बनती है. खगोल-विज्ञान की भाषा में इस दुर्लभ ब्रह्मांडीय घटना को जीरो शैडो-डे ( zero shadow day) कहा जाता है. यह एक विशेष समय होता है जब कोई परछाई नहीं बनती है. कोलकाता में सुबह 11.34 बजे शहर के लोग कम से कम 55 सेकंड के लिए परछाई नहीं पाते हैं.