नई दिल्ली: केंद्र ने मंगलवार को कहा कि युद्ध के कारण यूक्रेन से आए मेडिकल छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में समायोजित करने की कोई अनुमति नहीं दी गई है. ये जानकारी एक सवाल के जवाब में दी गई.
स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम (CPI MP Binoy Viswam) द्वारा उठाए गए संसदीय प्रश्न के जवाब में कहा, 'भारतीय मेडिकल कॉलेजों / विश्वविद्यालयों में युद्ध के कारण यूक्रेन से निकाले गए मेडिकल छात्रों को समायोजित करने की कोई अनुमति नहीं दी गई है.' पवार ने कहा कि इसके लिए कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है.
विश्वम ने की आलोचना :पवार के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विश्वम ने कहा है कि एक ऐसी सरकार के लिए जिसका इतिहास अपनी विधायी शक्तियों का उपयोग करने का रहा है, ऐसी असाधारण परिस्थिति में विशेष प्रावधान नहीं बनाने का सरकार का निर्णय अत्यंत निंदनीय है. विश्वम ने कहा, 'युद्ध जैसी घटना का सामना करने वाले छात्रों को सरकार ने विफल कर दिया है. ये छात्र बिना किसी तार्किक कारण के अपने भविष्य को खतरे में डाल रहे हैं.'
केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए विश्वम ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री इन परिस्थितियों में मेडिकल छात्रों की सही संख्या पर डेटा प्रदान करने में विफल रहे हैं. उन्होंने केवल 20,000 छात्रों को यूक्रेन से निकाले जाने का अस्पष्ट आंकड़ा प्रदान किया है.
पढ़ें- रूसी हमलों के बीच यूक्रेन से लौटे छात्रों ने की मेडिकल कॉलेज में दाखिले की मांग