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दिल्ली में वर्षा के आसार नहीं, जानें क्यों अप्रैल में ही चल रही लू

इस साल पश्चिमी विक्षोभ गतिविधि दुर्लभ और कमजोर होने के कारण मार्च और अप्रैल के महीने में होने वाली औसत वर्षा भी नहीं हुई. मार्च के महीने में सामान्य तौर से 15.9 मिमी और अप्रैल में 19.7 मिमी वर्षा होती रही है. इसके उलट बादलों के नहीं होने के कारण आसमान साफ रहे और निर्बाध सौर विकिरण ने तापमान (weather report) को बढ़ा दिया. जिसकी वजह से हीट वेव (Heat breaks the record) की स्थिति बन रही है और पिछले वर्षों की तुलना में गर्मी की शुरुआत जल्दी हो गई.

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राजधानी में गर्मी

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Published : Apr 13, 2022, 7:35 AM IST

Updated : Apr 13, 2022, 12:27 PM IST

नई दिल्ली/पटना :इस साल शुरुआत में ही गर्मी ने अपने शबाब पर है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले वर्षों की तुलना में गर्मी की शुरुआत जल्दी हो गई है, मंगलवार को भी अधिकतम तापमान (weather report) सामान्य से ऊपर रहा. राजधानी में 29 मार्च के बाद से लू की स्थिति दर्ज (Heat breaks the record) की जाने लगी. अप्रैल के महीने में (12 अप्रैल तक) छह दिन दर्ज किए गए जब सफदरजंग मौसम वेधशाला के अनुसार हीट वेव की स्थिति बनी रही. पिछले वर्षों से तुलना करें तो अप्रैल 2021 और 2020 में (12 अप्रैल तक) एक भी दिन हीट वेव की स्थिति नहीं थी. जबकि अप्रैल 2019 और 2018 में सिर्फ एक दिन सफदरजंग मौसम वेधशाला ने लू की स्थिति दर्ज की थी.

आईएमडी के वैज्ञानिक आर के जेनामणि ने कहा कि दिल्ली में लगभग 50 दिनों से बारिश नहीं हुई है. जबकि आंकड़े बताते हैं कि मार्च के महीने में सामान्य तौर से 15.9 मिमी और अप्रैल में 19.7 मिमी वर्षा होती रही है. जबकि इस वर्ष पूरे मार्च और अप्रैल में अभी तक बारिश नहीं हुई है. दिल्ली में पिछली बार 25 फरवरी को बारिश हुई थी. मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि बारिश का ना होना और अप्रैल के महीने में कई दिनों तक हीट वेव की स्थिति एक असामान्य पैटर्न है.

क्यों बढ़ रही है गर्मी: वैज्ञानिकों के अनुसार, उत्तर पश्चिम भारत के लिए जिसमें दिल्‍ली-एनसीआर सहित जम्‍मू और कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्‍तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्‍थान, पूर्वी और पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश जैसे इलाके आते हैं में पश्चिमी विक्षोभ के कारण वर्षा होती है. पश्चिमी विक्षोभ एक मौसम प्रणाली है. यह उन तुफानों को कहा जाता है जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं. वे अपने साथ मेघ आवरण लेकर आते हैं. लेकिन इस बार पश्चिमी विक्षोभ नहीं बन रहा है. आकाश साफ है और निर्बाध सौर विकिरण तापमान को ऊंचा रख रहा है. जिसकी वजह से हीट वेव की स्थिति बन रही है.

बारिश क्यों नहीं हो रही है? : आईएमडी के अनुसार, पिछले साल, एक के बाद एक कई पश्चिमी विक्षोभ आए. लेकिन इस साल पश्चिमी विक्षोभ गतिविधि दुर्लभ और कमजोर है. अगर है भी, तो यह उत्तर की ओर बढ़ रहा है और उत्तर पश्चिम भारत को प्रभावित नहीं कर रहा है. मार्च में थोड़ी गतिविधियां बनी थी लेकिन वे उत्तर पश्चिमी क्षेत्र को प्रभावित किए बिना हिमालय के उत्तर में चली गईं. अभी भी यह प्रवृत्ति जारी है. आईएमडी के अनुसार एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करने के लिए तैयार है. जिसकी वजह से 13 और 14 अप्रैल को पंजाब, उत्तर पश्चिमी राजस्थान और उत्तरी हरियाणा के अलग-अलग क्षेत्रों में बारिश हो सकती है. लेकिन दिल्ली के लिए बारिश का अनुमान फिलहाल नहीं है. कमजोर होने के बाद भी इस पश्चिमी विक्षोभ की वजह से बने बादल अस्थायी रूप से तापमान को नीचे लाने में मदद कर सकते हैं. दिल्ली में 13 से 15 अप्रैल को आसमान में बादल छाए रहने से हीट वेव से हल्की राहत जरूर मिलेगी. लेकिन 16 अप्रैल से फिर से अधिकतम तापमान 39 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है.

मंगवार को देश में सबसे गर्म शहर रहा झारखंड का डाल्टनगंज:अप्रैल के दूसरे हफ्ते की बात करें तो राज्य के अधिकांश हिस्सों में लू जैसी हालत बन गई है. रांची, जमशेदपुर, धनबाद, जैसे जिलों में चिलचिलाती गर्मी से लोगों का जहां जीना मुश्किल है. वहीं पलामू में तापमान ने एक नया रिकार्ड बनाया है. IMD (India Metrological department) के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार (12 अप्रैल) को पलामू देश का सबसे गर्म जिला रहा. IMD के आंकड़ों के मुताबिक मंगलवार ( 12 अप्रैल) को पलामू का तापमान 44.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो देश में सबसे अधिक है. पलामू के बाद मध्यप्रदेश के खजुराहो 44.5 डिग्री सेल्सियस, दामोह 44.0 और सतना में 43.5 डिग्री तापमान दर्ज किया गया. इन जिलोंं में भीषण गर्मी से जहां लोग परेशान हैं वहीं फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं दिख रही है.

पलामू रहा देश का सबसे गर्म जिला

पढ़ें: राजधानी में गर्मी ने तोड़ा 72 वर्षों का रिकॉर्ड, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और झारखंड में भी हीट वेव की आशंका

टूटा 72 वर्षों का रिकॉर्ड: मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार राजधानी में इस साल अप्रैल में अब तक पांच दिन ऐसे दर्ज किए गए हैं जब लू चली है. यह संख्या 12 वर्षों में सबसे अधिक हैं. इससे पहले अप्रैल, 2017 में ऐसे चार दिन दर्ज किए थे. सफदरजंग वेधशाला में अधिकतम तापमान 42.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से सात डिग्री अधिक है. राजधानी में 21 अप्रैल, 2017 को अधिकतम तापमान 43.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. महीने का अब तक का उच्चतम अधिकतम तापमान 29 अप्रैल, 1941 को 45.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. यह भी 72 साल में पहली बार हुआ (Heat breaks the record) है कि दिल्ली में अप्रैल के पहले पखवाड़े में इतना अधिक तापमान दर्ज किया गया है.

पूर्वोत्तर राज्यों में 5 दिनों तक भारी बारिश के आसार :बंगाल की खाड़ी से पूर्वोत्तर भारत तक तेज दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के प्रभाव में निचले क्षोभमंडल के स्तर पर रहने वाले उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और आठ पूर्वी राज्यों में अगले पांच दिनों के दौरान व्यापक रूप से बारिश होने की संभावना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा कि 14 से 16 अप्रैल के दौरान असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है और 13 अप्रैल को उसी क्षेत्र और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में भारी बारिश की संभावना है.

इस बीच, दक्षिण तमिलनाडु पर मध्य क्षोभमंडल स्तर तक चक्रवाती परिसंचरण के प्रभाव के तहत, केरल, माहे और लक्षद्वीप पर गरज/बिजली के साथ हल्की से भारी बारिश और तमिलनाडु में अलग-अलग जगह बारिश होने की संभावना है. अगले पांच दिनों के दौरान पुडुचेरी, कराईकल, तटीय आंध्र प्रदेश और तटीय और आंतरिक कर्नाटक और 13 व 14 अप्रैल को उन्हीं क्षेत्रों में भारी होने की संभावना है. इस बीच पूर्वोत्तर में चुमुकेदिमा और धनसिरी (प्रत्येक में 10 सेमी) और दीफू, तामेंगलोंग, झरनापानी (6 सेमी प्रत्येक) और वोखा (5 सेमी) में 4 सेमी से अधिक बारिश हुई. आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि मंगलवार को दक्षिण भारत के पठानमथिट्टा में 9 सेमी, एनार्कुलम में 6 सेमी, कोट्टायम में 5 सेमी (केरल) में बारिश हुई, जबकि थेनी और टूथुकुडी में प्रत्येक में 9 सेमी और रामनाथपुरम (तमिलनाडु) में 7 सेमी बारिश हुई.

बिहार में आम पर मौसम की मार, मंजर के बाद टिकोले को नुकसान : बिहार में आम की पैदावार इस बार कम होने की संभावना जताई जा रही है. कहा जा रहा है कि पहले ठंड ज्यादा दिनों तक रहने के कारण मंजर देर से आए. अब अचानक तापमान में वृद्धि तथा कुछ इलाकों में तेज आंधी के कारण टिकोले नष्ट हो रहे है या गिर रहे हैं. किसानों का कहना है कि कुछ इलाकों में कीट भी टिकोले को प्रभावित कर रहे हैं. कई जिलों में आम के मंजर सूखकर काले हो गए हैं. उत्पादक मान रहे हैं कि तापमान अधिक होने से ऐसा हो रहा है.

(इनपुट एजेंसी)

Last Updated : Apr 13, 2022, 12:27 PM IST

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