नई दिल्ली: भारत के चार राज्यों में टोमैटो फ्लू (Tomato Flu in India) बीमारी के बारे में पता चला है. लेकिन इस बीमारी को लेकर बुधवार को विशेषज्ञों ने कहा कि इसको लेकर चिंता करने की जरुरत नहीं है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और वित्तीय सचिव डॉ अनिल अग्रवाल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि लोगों को पैर और मुंह की बीमारी के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि अन्य इन्फ्लूएंजा की तरह ही टोमैटो फ्लू है. लोगों को इससे घबराना नहीं चाहिए. इसके लिए उन्हें केवल एहतियात बरतना चाहिए और कोई लक्षण पाए जाने पर डॉक्टरों से परामर्श करना चाहिए. हमें अन्य सभी सामान्य फ्लू की तरह टोमैटो फ्लू का इलाज करना चाहिए. हालांकि वर्तमान में हाथ-पैर और मुंह की बीमारी (जिसे आमतौर पर 'टोमैटो फ्लू' के रूप में जाना जाता है) है.
इस संबंध में प्रसिद्ध स्वास्थ्य विशेषज्ञ और एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन (Asian Society of Emergency Medicine) के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले (Dr. Tamorish Kole) ने कहा कि टोमैटो फ्लू हाथ, पैर और मुंह की बीमारी (HFMD एचएफएमडी) का एक नया रूप है, जो आमतौर पर कॉक्ससेकी वायरस के कारण होता है. इसकी वजह से त्वचा पर छोटे-छोट 4-6 मिमी के लाल धब्बे बन जाते हैं जिनके अंदर तरल पदार्थ के साथ बुलबुले बन जाते हैं. उन्होंने कहा कि आमतौर पर हाथों, पैरों और शरीर इसके धब्बे दिखाई देते हैं और छोटे बच्चों में ये संपर्क से फैलते हैं.
कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि टोमैटो फ्लू का बुखार बच्चों में चिकनगुनिया या डेंगू बुखार के बाद का प्रभाव हो सकता है. इसके लिए केवल उपचार की आवश्यकता होती है. यह पूछे जाने पर कि क्या टोमैटो फ्लू घातक हो सकता है, इस पर डॉ कोले ने कहा, केंद्र सरकार ने पहले ही राज्यों को एचएफएमडी पर एक एडवाइजरी जारी कर रोकथाम पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है. एडवाइजरी में संदिग्ध मामलों में लक्षण दिखने के 5-7 दिन बाद आइसोलेशन की सिफारिश की गई है. जबकि हम अभी भी कोविड से जूझ रहे हैं, ऐसे नया संक्रमण स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए एक चुनौती बना हुआ है. फिर भी इससे इससे घबराने की कोई बात नहीं है.