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डेल्टाक्रोन से नहीं घबराएं, कोविड प्रोटोकॉल का करते रहें पालन : विशेषज्ञ

ओमीक्रोन के बाद डेल्टाक्रोन वेरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है. हालांकि, अभी तक की जानकारी के मुताबिक यह डेल्टा वेरिएंट की तरह घातक नहीं है. इसे सबसे पहले साइप्रस में खोजा गया है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि क्योंकि हमारी बड़ी आबादी ने वैक्सीनेशन प्राप्त कर लिया है, लिहाजा पैनिक जैसी कोई स्थिति नहीं (no need to worry over deltacron) है. उनका कहना है कि हमे लगातार प्रोटोकॉल का पालन करते रहने की जरूरत है. पेश है वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

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Published : Jan 11, 2022, 7:02 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन का असर पूरी दुनिया पर दिख रहा है. अभी उससे निपटने के लिए तैयारी हो ही रही थी, कि डेल्टाक्रोन नाम के एक और वेरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है. इसे साइप्रस में स्पॉट किया गया है. हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. ईटीवी भारत से बात करते हुए आईएमए के पूर्व सदस्य डॉ विनय के. अग्रवाल ने कहा कि क्योंकि हमारे यहां बड़ी आबादी ने टीका प्राप्त कर लिया है, उनका वैक्सीनेशन हो चुका है, लिहाजा पैनिक जैसी कोई स्थिति नहीं (no need to worry over deltacron) है. उन्होंने यह भी कहा कि हमने कोविड का सामना करने के लिए जो भी प्रोटोकॉल बनाए हैं, उसका पालन करते रहने की जरूरत है.

डॉ अग्रवाल ने कहा कि डेल्टाक्रोन कितना घातक है, इसके बारे में पूरी जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन अभी तक की जानकारी के अनुसार कोरोना का डेल्टा वेरिएंट सबसे अधिक घातक रहा है, जबकि ओमीक्रोन अधिक संक्रमणकारी है. आपको बता दें कि साइप्रस में एक अनुसंधानकर्ता ने डेल्टाक्रोन वेरिएंट की खोज की है. उसने डेल्टा और ओमीक्रोन को मिलाकर इसका नामकरण किया है. यह सार्स-कोविड का सबसे ताजा वेरिएंट है. डेल्टाक्रोन के 25 केस अध्ययन के लिए जीआईएसएआईडी (अंतरराष्ट्रीय डाटा बेस) को भेजे जा चुके हैं. यह संस्था कोविड वायरस से जुड़ी पूरी जानकारी को ट्रैक करता है. वैसे, सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने डेल्टाक्रोन को लेकर कुछ विशेषज्ञों की राय साझा की है. उन्होंने इसके बारे में जन स्वास्थ्य को इससे कोई खतरा नहीं बताया है.

यहां आपको बता दें कि डेल्टाक्रोन जैसा नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं दिया है. इसका औपचारिक नामकरण बाकी है. इसके पहले इसे डेल्मीक्रोन के रूप में भी जाना जा रहा था. ओमीक्रोन से पहले आईएचयू वेरिएंट भी चर्चा में रहा है. इसे नवंबर महीने में ट्रेस किया गया था. इसके बावजूद आईएचयू ओमीक्रोन की तरह प्रसारित नहीं हुआ. आईएचयू वेरिएंट को फ्रांस में स्पॉट किया गया था. मेडरेक्सिव नाम की मैगजीन की रिपोर्ट के अनुसार आईएचयू की गंभीरता पर अध्ययन जारी है. यह बहुत अधिक तेजी से नहीं फैलता है.

एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसीन के डॉ तमोरिश कोली भी ऐसा ही मानते हैं. उन्होंने कहा कि अभी तक के हालात बताते हैं कि डेल्टाक्रोन बहुत तेजी से नहीं फैलता है. डॉ कोली ने कहा कि हो सकता है कोई नया वेरिएंट फिर आ जाए और वह पहले के मुकाबले अधिक संक्रमणकारी हो. अभी कुछ भी निश्चिंतता के साथ नहीं कहा जा सकता है, इसलिए आपलोग सावधानी बरतते रहें, यही सबसे बेहतर उपाय है.

ओमीक्रोन को लेकर आईएनएसएसीओजी ने किया अपडेट INSACOG

इस बीच इंडियन सार्स कोव-2 जीनोमिक सिक्वेंसिंग कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) ने कहा है कि जिन आबादी में कम प्रतिरक्षा है, वहां पर ओमीक्रोन तेजी से फैल सकता है. ओमीक्रोन के उपलब्ध आंकड़ों का हवाला देते हुए इसमें कहा गया है कि पुराने गैर-प्रतिरक्षा विषयों में अभी भी गंभीर बीमारी का खतरा होने की संभावना है, खासकर पिछले वेरिएंट की तुलना में. इसके अनुसार SARS CoV2 का वैश्विक प्रकोप तेजी से डेल्टा से ओमीक्रोन में स्थानांतरित हो रहा है. डेल्टा के मुकाबले ओमीक्रोन तेजी से फैलता है. लेकिन ओमीक्रॉन से जुड़ी बीमारी की गंभीरता का अनुमान पिछले प्रकोपों ​​​​की तुलना में कम है. यानी डेल्टा अधिक घातक रहा है.

समान समय में ओमीक्रोन और डेल्टा के बीच गंभीरता को लेकर जो अध्ययन किया गया है, उसके अनुसार पिछले प्रकोपों ​​​​की तुलना में गंभीरता में स्पष्ट कमी, पिछले संक्रमणों और टीकाकरण से उच्च जनसंख्या प्रतिरक्षा के कारण है. यानी बड़ी आबादी ने टीका प्राप्त कर लिया है, इसलिए गंभीरता कम है. यह भी एक वजह हो सकती है. आईएनएसएसीओजी देश भर में सार्स सीओवी -2 की जीनोमिक निगरानी प्रहरी साइटों से नमूनों की अनुक्रमण के माध्यम से और कुछ राज्यों के लिए विस्तृत राज्यवार जिला विश्लेषण के साथ रिपोर्ट करता है.

यूके में ओमीक्रोन बनाम डेल्टा मामलों के लिए अस्पताल में उपस्थिति के लिए जोखिम अनुपात (एचआर) के समायोजित अनुमान बताते हैं कि उसी अवधि के लिए बिना टीकाकरण के जोखिम केवल 25 प्रतिशत कम है. यूके में जिन व्यक्तियों को AZ / Covisheeld या mRNA टीकों की कम से कम 2 खुराक प्राप्त हुई हैं, वे अस्पताल में भर्ती होने से काफी हद तक सुरक्षित रहे, भले ही संक्रमण को लेकर बहुत अधिक सुरक्षा न बरती गई हो.

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