नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टिप्पणी की है किन्यूनतम मजदूरी अधिनियम के तहत जारी एक अधिसूचना मोटर दुर्घटना दावा मामले में मृतक की आय का निर्धारण करने में केवल एक मार्गदर्शक कारक हो सकती है, जब आय के संबंध में सकारात्मक सबूत होते हों तो न्यूनतम मजदूरी अधिसूचना पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दावेदारों द्वारा दायर अपील पर विचार कर रहा था, जिसने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे को कम कर दिया था. मृतक 25 वर्षीय युवक था, जो ठेकेदार के रूप में आजीविका कमा रहा था. मामले में दावा की गई मासिक आय 50,000 रुपये थी, जबकि ट्रिब्यूनल ने मासिक आय के रूप में 25,000 रुपये की गणना की.