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खस्ताहाल पाकिस्तान, इमरान ने कहा- देश चलाने के लिए पैसे नहीं - खस्ताहाल पाकिस्तान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (pakistan pm imran khan) ने आखिरकार ने यह मान लिया है कि पाकिस्तान कंगाली की कगार पर खड़ा है. उन्होंने कहा कि उनके पास मुल्क चलाने के लिए पैसे नहीं हैं. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर

प्रधानमंत्री इमरान खान
प्रधानमंत्री इमरान खान

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Published : Nov 24, 2021, 4:29 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान(pakistan pm imran khan) ने आखिरकार यह माना लिया गया है कि पाकिस्तान आर्थिक हालत (pakistan economic condition) बेहद खस्ता है. सरकार के पास देश चलाने के लिए पैसे नहीं हैं, जिसके चलते हमें अन्य देशों से चर्चा लेना पड़ रहा है. चीनी उद्योग के लिए फेडरल ब्यूरो ऑफ रेवेन्यू के ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम (टीटीएस) के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए खान ने ये बातें कहीं.

खान ने यह भी कहा कि सरकार पर विदेशी कर्ज तेजी से बढ़ रहा है. वहीं टैक्स से मिलने वाला राजस्व लगातार घट रहा है. लोग टैक्स नहीं जमा कर रहे हैं, यह कहीं ने कहीं राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बन गया है. पाक प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के पास लोगों के कल्याण पर खर्च करने के लिए न ही पैसे हैं और न ही पर्याप्त संसाधन हैं.

पाक पीएम ने कहा कि देश में टैक्स कल्चर कभी बन ही नहीं पाया, टैक्स चोरी करना बुरी बात है, लेकिन आवाम इस बात को समझती नहीं. इस मसले पर हमने चिंतन भी किया है. इमरान खान ने कहा कि जब हम उपनिवेश थे, तब लोगों को लगता था कि हम विदेशियों को टैक्स क्यों दें. उस समय यह स्वाभिव भी था कि पराये की हुकूमत में टैक्स को क्यों दिया जाए, क्योंकि आवाम का पैसा उनपर नहीं खर्च किया जाता था. जब हम आजाद हुए तो उस समय के शासकों ने टैक्स कल्चर को बढ़ावा नहीं दिया.

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खान ने 2009 से 2018 तक पिछली दो सरकारों पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि स्थानीय संसाधनों को उत्पन्न करने में विफलता के चलते पिछली सरकारों ने कर्ज का सहारा लिया था. इसके साथ ही खान ने कहा कि टैक्स के सहारे पाकिस्तान कर्ज के दुष्चक्र से बाहर निकल पाएगा.

इमरान खान ने कहा कि ब्रिटेन के मंत्रियों की आय पाकिस्तान के मंत्रियों की आय से 50 गुना ज्यादा है. इसके बाद भी जव वे कहीं विदेश दौरे पर जाते हैं तो इकोनॉमी क्लास में जाते हैं. और वह ब्रिटेन के दूतावास में ही ठहरते हैं. वह ऐसा इसलिए करते हैं कि उन्हें पता होता है कि वह जनता का पैसा उपयोग कर रहे हैं. लेकिन पाकिस्तान में यह संस्कृति विकसित नहीं हो पाई.

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