पटना :बिहार में सरकार ने शराबबंदी (Liquor Ban In Bihar) को सफल बनाने के लिए पुलिस से लेकर शिक्षक तक को लगा दिया है. आए दिन शराब को लेकर पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर रहते हैं. लेकिन आज तक बिहार में शराब की तस्करीऔर सेवन बंद नहीं हुआ. लेकिन इसी बिहार में हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताएंगे, जहां ना पुलिस का भय है और ना कोई पाबंदी. लोगों के संस्कार (Liquor Ban in Gangara Village Jamui) ही ऐसे हैं कि यहां सदियों से किसी ने शराब को पीना तो दूर हाथ तक नहीं लगाया है. पिछले 700 से अधिक वर्षो से यहां शराबबंदी है.
ईटीवी भारत की टीम जब जमुई जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर गिद्धौर प्रखंड के गंगरा गांव पहुंची तो पता चला कि इस शराबबंदी की असल वजह क्या है? गंगरा गांव में 700 वर्षो से शराबबंदी संभव हो पाई है तो बाबा कोकिलचंद की सीख,आशीर्वाद और भय से. इस गांव के लोग जब बाहर अपने लड़के लड़कियों की शादी करते हैं, तो पहले पूरी तरह पता कर लेते हैं कि जहां रिश्ता कर रहे हैं, वहां परिवार में कोई शराब तो नहीं पीता है. इतना ही नहीं इस गांव के जो लोग देश के अलग-अलग शहर और विदेशों में भी काम कर रहे हैं, वो भी शराब को नहीं छूते. साथ ही दूसरों को भी इसका सेवन नहीं करने की सीख देते हैं.
बाबा कोकिलचंद के नवें पीढ़ी के वंशजभैरो सिंह बताते हैं- बाबा कोकिलचंद के बाद रामनाथ सिंह, दरोगा सिंह, बालदेव सिंह, बैधनाथ सिंह, दौलत सिंह, शिवदयाल सिंह, गोपाल सिंह और छेमन सिंह हुऐ. शुरुआत में बाबा कोकिलचंद चार भाई थे और ये लोग जमुई के कैयार गांव से यहां आऐ थे. उस समय यहां घना जंगल था. गांव में अकेला एक घर बाबा कोकिलचंद का था. बाबा से मिलने कुछ लोग आने लगे इसी बीच एक चमत्कार ने सभों को बाबा का भक्त बना दिया. दूर-दूर से लोग आने लगे आशीर्वाद लेने, उनकी मनोकामना पूर्ण होने लगी. लोग भले चंगे होने लगे इसी दौरान भक्तों के भीड़ के बीच जयकारा लगा 'जय-जय गंगरा' तभी से इस जगह का नाम 'गंगरा' पड़ गया और धीरे-धीरे जंगल कटने लगे, घर बनने लगे, और लोग बसने लगे. अभी लगभग 400 से 500 परिवार इस गांव में है. जहां अब भुमिहार, ब्राम्हण, रजक, रवानी, धोबी, रावत और कई अन्य जाति के लोग भी हैं.
बाबा कोकिलचंद के उपदेश का है असरःलोग बताते हैं कि पहले एक फूस की झोपड़ी थी. जिसमें बाबा के दिवंगत होने के बाद उनकी पीढ़ी रहती थी, अब सभी के सहयोग से वहां भव्य मंदिर का निर्माण कर दिया गया है. बाबा कोकिलचंद ने तीन नारा दिया था. जिसमें पहला शराब से दूर रहें, दूसरा नारी का सम्मान करें और तीसरा अन्न की रक्षा करें. सैकड़ों वर्ष पूर्व दिया गया ये नारा आज भी मंदिर की दिवार पर न सिर्फ लिखा है, बल्कि लोग इसका पालन भी कर रहे हैं. गलती से भी कोई अगर इसकी अवहेलना करता है तो वैसे परिवार को इसका खामियाजा किसी न किसी रूप से भुगतना पड़ता है. बाबा की आस्था और विश्वास की बदौलत आज भी इस गांव में लोग शराब और नशे से दूर हैं.