श्रीनगर : जम्मू कश्मीर में 'शहीदी दिवस' पर लगातार तीसरे साल कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया. अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. एक डोगरा शासक की सेना द्वारा 13 जुलाई, 1931 को की गई गोलीबारी में 22 कश्मीरी लोगों की मौत हो गई थी जिन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 'शहीदी दिवस' पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. जब जम्मू कश्मीर पूर्ण राज्य था तब 13 जुलाई को सरकारी छुट्टी होती थी और हर साल इस दिन एक सरकारी कार्यक्रम आयोजित किया जाता था जिसमें मुख्यमंत्री या राज्यपाल मुख्य अतिथि होते थे.
हालांकि, पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद 2020 में सरकारी छुट्टियों की सूची से इस दिन को हटा दिया गया था. अधिकारियों ने कहा कि शहर में कब्रिस्तान में किसी भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया और बुधवार को लगातार तीसरे साल छुट्टी नहीं रही. उन्होंने बताया कि इस साल मुख्यधारा की किसी भी राजनीतिक पार्टी का कोई भी नेता कब्रिस्तान नहीं गया. उन्होंने बताया कि लोगों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं थी.
'13 जुलाई, 1931 की ऐतिहासिक घटना को कभी नहीं मिटाया जा सकता'
इस बीच गुपकार घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) ने कहा है कि 13 जुलाई 1931 की ऐतिहासिक घटना को कभी नहीं मिटाया जा सकता जब एक डोगरा शासक की सेना द्वारा की गई गोलीबारी में 22 कश्मीरी लोगों की मौत हो गई थी. पीएजीडी ने जम्मू-कश्मीर की जनता से बेहतर और सम्मानजनक जीवन के लिए मिलकर आवाज उठाने की भी अपील की.