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Karnataka : हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं की SSLC परीक्षा में नो एंट्री

कर्नाटक में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग (Primary and Secondary Education Department) सरकार के सचिव वी. श्रीनिवास मूर्ति द्वारा जारी सर्कुलर कि छात्र स्कूल ड्रेस में ही परीक्षा केंद्र पहुंचे. सर्कुलर में कहा गया है कि छात्र हिजाब (Hijab Row) पहनकर परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे.

Hijab Row
हिजाब पहनकर आने वाली छात्राओं की SSLC परीक्षा में नो एंट्री

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Published : Mar 26, 2022, 6:17 PM IST

बेंगलुरु:पिछले दो वर्षों में कोविड महामारी के दौरान सफलतापूर्वक बोर्ड परीक्षा आयोजित करने वाले कर्नाटक शिक्षा विभाग को अब हिजाब मुद्दे की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. कर्नाटक उच्च न्यायालय की विशेष पीठ के फैसले की पृष्ठभूमि के खिलाफ, राज्य सरकार ने हिजाब पहनने वाले छात्रों को परीक्षा (SSLC exams) देने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है. परीक्षा का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने के लिए परीक्षा केंद्रों के पास पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाएगी.

एसएसएलसी परीक्षाएं सोमवार 28 मार्च से शुरू होंगी, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग (Primary and Secondary Education Department) सरकार के सचिव वी. श्रीनिवास मूर्ति (Secretary V. Srinivas Murthy) द्वारा जारी सर्कुलर कि, छात्र स्कूल ड्रेस में ही परीक्षा केंद्र पहुंचे. सर्कुलर में कहा गया है कि छात्र हिजाब (Hijab Row) पहनकर परीक्षा में शामिल नहीं हो पाएंगे, और उन्हें केवल तभी अनुमति दी जाएगी जब उन्होंने स्कूल द्वारा अनिवार्य स्कूल ड्रेस पहनी हो.

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राज्य सरकार 28 मार्च से महत्वपूर्ण एसएसएलसी (कक्षा 10) परीक्षाएं आयोजित कर रही है जो 11 अप्रैल तक चलेगी. इस शैक्षणिक वर्ष में एसएसएलसी परीक्षा के लिए 8,73,846 छात्रों ने नामांकन किया है. परीक्षा राज्य भर के 3,444 केंद्रों पर आयोजित की जाएगी. सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं और उनके आसपास निषेधाज्ञा लगा दी जाएगी. पिछले दो साल से शिक्षक बिरादरी जबरदस्त तनाव में है. शिक्षकों ने अपने जीवन का संकल्प लिया और कोविड महामारी के दौरान काम किया और बोर्ड परीक्षा आयोजित की. हालांकि, सभी छात्र पास हो गए, लेकिन विभाग की पहल की सराहना की गई. कोविड प्रभावित छात्रों के परीक्षा देने के लिए अलग से व्यवस्था की गई थी.

शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि शिक्षकों का इस्तेमाल कोविड से संबंधित कार्यो के लिए भी किया जाता था और इस प्रक्रिया में कई लोगों की जान चली गई थी. अब, यह हिजाब का मुद्दा है जो उनके लिए समान रूप से तनावपूर्ण है. हालांकि, हिजाब पर हाईकोर्ट के आदेश को याचिकाकर्ता छात्र सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं. विपक्षी कांग्रेस सत्तारूढ़ भाजपा से छात्रों को हिजाब पहनकर परीक्षा देने की पुरजोर मांग कर रही है. विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने मांग की है कि वर्दी से मेल खाते दुपट्टे वाले मुस्लिम छात्रों को परीक्षा हॉल के अंदर जाने दिया जाए. बाद में, उन्होंने कहा कि अगर हिंदू, जैन महिलाएं और धार्मिक नेता अपने चेहरे पर कपड़ा पहन सकते हैं, तो मुस्लिम छात्र क्यों नहीं? बयान ने एक विवाद को जन्म दिया और बाद में, सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया कि उनके मन में धार्मिक नेताओं के लिए बहुत सम्मान है और उनका इरादा उनका अपमान करना नहीं था.

पुलिस विभाग के सूत्रों ने बताया कि अदालत के फैसले के बाद सरकारी आदेश के बाद भी छात्राएं हिजाब पहनकर परीक्षा देने की कोशिश करेंगी और जब उन्हें रोका जाएगा तो परीक्षा केंद्रों के पास अफरा-तफरी मच जाएगी. उनका कहना है कि यह सुनिश्चित करने के लिए स्थिति को ठीक से संभालने की जरूरत है कि परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों को परेशान न किया जाए. शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश, ने स्पष्ट किया है कि हिजाब पहनने वाले छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति नहीं है और इसके बारे में कोई दूसरा विचार नहीं है. उन्होंने कहा कि हम हिजाब वाली छात्राओं को बोर्ड परीक्षाओं सहित किसी भी परीक्षा में शामिल नहीं होने देंगे.

शिक्षा विभाग पूर्व-कोविड पैटर्न के समान सभी विषयों के लिए अलग-अलग परीक्षा आयोजित कर रहा है. छात्रों को इस बार न्यूनतम उत्तीर्ण अंक प्राप्त करने होंगे. सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह छात्रों को वैसे ही पास नहीं करेगी जैसे पिछले दो वर्षों में किया गया था. छात्रों के लिए कोविड नियमों में ढील दी गई है और परीक्षा हॉल में मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है. हालांकि परीक्षा हॉल को सेनेटाइज किया जाएगा और सामाजिक दूरी का पालन किया जाएगा. इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय की विशेष पीठ कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली याचिकाओं को खारिज कर चुकी है. इसमें यह भी कहा गया है कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. अदालत ने राज्य को अ²श्य हाथों की भूमिका के पहलू पर गौर करने का भी निर्देश दिया था, जिसने राज्य में सब कुछ सुचारू रूप से चलने पर अचानक संकट पैदा कर दिया था.

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