दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

JNU to SC : 'विश्वविद्यालय को संगठित 'सेक्स रैकेट का अड्डा' दर्शाने वाला कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं' - जेएनयू खबर

जेएनयू ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि विश्वविद्यालय को संगठित 'सेक्स रैकेट के अड्डे' के रूप में दर्शाने वाला कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है. जेएनयू प्रशासन की ओर से यह प्रतिक्रिया प्रोफेसर अमिता सिंह द्वारा दायर याचिका पर आई है.

JNU to SC
सुप्रीम कोर्ट

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 6, 2023, 9:15 PM IST

नई दिल्ली :जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उसे विश्वविद्यालय को कथित तौर पर 'संगठित सेक्स रैकेट के अड्डे' के रूप में चित्रित करने वाला कोई दस्तावेज नहीं मिला है.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है कि जेएनयू के शैक्षणिक अनुभाग द्वारा रखे गए रिकॉर्ड के आधार पर, याचिका में उल्लिखित विवरण से मेल खाने वाला कोई भी डोजियर या तो प्राप्त नहीं हुआ था या उपलब्ध नहीं था. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को तय की है.

जेएनयू प्रशासन की ओर से यह प्रतिक्रिया एक प्रोफेसर अमिता सिंह द्वारा दायर याचिका पर आई है, जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें ऑनलाइन समाचार पोर्टल 'द वायर' के संपादक और उप संपादक को आपराधिक मानहानि के मामले में जारी किए गए समन को रद्द कर दिया गया था. सिंह जेएनयू में सेंटर फॉर स्टडी ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस की प्रोफेसर और अध्यक्ष हैं और उन्होंने उच्च न्यायालय के 29 मार्च के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया.

सिंह ने अप्रैल 2016 के एक प्रकाशन में कथित तौर पर दावा करने के लिए 'द वायर' के संपादक और उप संपादक सहित कई लोगों के खिलाफ शिकायत की थी कि उन्होंने यह डोजियर तैयार किया था.

शीर्ष अदालत ने 3 जुलाई को सिंह के वकील की दलील पर गौर किया था कि याचिकाकर्ता का नाम एक समाचार में आया है, जिसमें कहा गया है कि वह जेएनयू प्रशासन को सौंपे गए एक डोजियर पर हस्ताक्षरकर्ता थी. वकील ने कहा था कि उनका किसी भी डोजियर से कोई लेना-देना नहीं है, अगर उसने कोई डोजियर जमा भी किया है.

शीर्ष अदालत ने सिंह की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए जेएनयू से अपने कुलपति के माध्यम से यह सत्यापित करने को कहा था कि विश्वविद्यालय को कोई दस्तावेज सौंपा गया था या नहीं.

'द वायर' के संपादक और उप संपादक ने समन आदेश को इस आधार पर चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था कि रिकॉर्ड पर ऐसी कोई सामग्री नहीं थी जिसके आधार पर मजिस्ट्रेट उन्हें बुला सकें.

ये भी पढ़ें

SC On VIRTUAL HEARING : हाईकोर्ट, वकीलों-वादियों को 'हाइब्रिड मोड' के जरिए सुनवाई की सुविधा से इनकार नहीं करेंगे: सुप्रीम कोर्ट

ABOUT THE AUTHOR

...view details