पटना: इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (I.N.D.I.A.) की चौथी बैठक दिल्ली के एक होटल में मंगलवार 19 दिसंबर को हुई. इस मीटिंग में भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संयोजक बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई. दिल्ली में हुई बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पीएम पद के उम्मीदवार के रूप में आगे किया गया था. हालांकि, इस पर मुहर नहीं लग सकी. लेकिन, बिहार का सियासी माहौल गरमा गया है.
नीतीश के पास ऑप्शन नहीं बचा हैः राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि नीतीश कुमार अब इंडिया गठबंधन में बड़ी भूमिका में रहेंगे, इसकी संभावना कम ही है. राजनीतिक गलियारों में यह भी कयास लगाये जा रहे हैं कि नीतीश कुमार अब इंडिया गठबंधन के साथ लंबे समय तक रहेंगे भी या नहीं. बीजेपी तो कह रही है कि 'ना माया मिली ना राम'. नीतीश कुमार के लिए अब आश्रम ही बचा है. नीतीश कुमार को इंडिया गठबंधन में तवज्जो नहीं दिए जाने पर जदयू खेमे में निराशा है, लेकिन जदयू नेताओं को अपने नेता पर भरोसा है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो नीतीश कुमार के लिए इंडिया गठबंधन के अलावे फिलहाल कोई ऑप्शन नहीं बचा है.
पटना से दिल्ली तक नीतीश के नाम पर चर्चा नहीं: बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन बनाया. उसी तर्ज पर 2024 चुनाव को लेकर देश भर में विपक्ष को एकजुट करने का अभियान चलाया. पटना में पहली बैठक की. इसके बाद बेंगलुरु, फिर मुंबई और अभी हाल में दिल्ली में बैठक हुई. इंडिया गठबंधन की हर बैठक से पहले नीतीश कुमार के संयोजक बनने के कयास लगाए जाते रहे. जदयू नेताओं की तरफ से नीतीश कुमार को पीएम पद के लिए प्रोजेक्ट भी किया गया. दिल्ली बैठक से पहले नीतीश कुमार ने कई राज्यों में रैली का भी ऐलान कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद इंडिया गठबंधन की पटना से लेकर दिल्ली तक हुई बैठक में नीतीश कुमार को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई.
क्या 'एकला चलो रे' के रास्ते पर चलेंगे नीतीशः इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार को ना तो संयोजक बनाया गया और ना ही पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया गया है. लेकिन नीतीश कुमार आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित देश के कई राज्यों में अपनी सभा करेंगे. बनारस में तो 24 दिसंबर को ही सभा होनी थी लेकिन अब यह जनवरी में होगी. जनवरी में ही झारखंड में भी सभा होनी है. कुल मिलाकर देखें तो नीतीश कुमार जब तक कुछ चौंकाने वाला फैसला नहीं ले लेते हैं, तो फिलहाल इंडिया गठबंधन में रहेंगे. लेकिन, एकला चलो के रास्ते पर काम करेंगे.
"नीतीश कुमार को अब आश्रम में चले जाना चाहिए. लालू यादव ने भी नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया है. लालू यादव ने तो नीतीश कुमार के सपनों की ही चोरी कर ली."- अरविंद सिंह, भाजपा प्रवक्ता
"नीतीश कुमार के लिए इंडिया गठबंधन के अलावा फिलहाल कोई ऑप्शन नहीं है. यह चर्चा जरूर हुई थी कि नीतीश कुमार को बड़ी जिम्मेवारी दी जाएगी हालांकि अभी भी कोई बड़ा फैसला इंडिया गठबंधन में नहीं हुआ है."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक
नीतीश के लिए परिस्थितियां अनुकूल नहींः राजनीतिक विश्लेषक प्रिय रंजन भारती का कहना है कि नीतीश कुमार का पुराना ट्रैक रिकार्ड देखें तो, जब उनके मन के लायक काम नहीं होता है उनकी बात सुनी नहीं जाती है तो पाला बदलते रहे हैं. लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग है. बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी है. नीतीश कुमार की बीजेपी में एंट्री भी होगी तो उनकी शर्तों पर नहीं होगी. इसलिए नीतीश कुमार के लिए स्थितियां अब बहुत अनुकूल नहीं है. एक तरह से नीतीश बैक फुट पर हैं. ऐसे में इंडिया गठबंधन से अलग जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेंगे.