हैदराबाद : कांग्रेस सांसद के सी. वेणुगोपाल ने मंगलवार को राज्यसभा में एक सवाल पूछा कि क्या कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बहुत सारे कोविड मरीज़ों ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से दम तोड़ दिया ? केंद्र सरकार के नए स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने इसका लिखित जवाब दिया. अपने जवाब में मंत्री ने बताया कि मौत की रिपोर्ट की विस्तृत जानकारी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्वास्थ्य मंत्रालय को रेगुलर बेसिस पर मुहैया कराते हैं. राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है.
इस जवाब ने सबको हैरत में डाल दिया. अभी अप्रैल और मई के बीते ज्यादा दिन नहीं हुए हैं और ऑक्सीजन के लिए छटपटाते कोरोना मरीजों की तस्वीरें भी धुंधली नहीं हुई है. हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से मौतों की खबर भी इतनी बासी नहीं हुई है कि मंत्री के बयान को आंख बंद कर स्वीकार कर ली जाए.
अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक. सिर्फ 11 से 15 मई के बीच ऑक्सीजन से संबंधित कमियों से 83 लोगों की मौत हुई. दिल्ली के बतरा हॉस्पिटल ने स्वीकार किया कि एक मई को ऑक्सीजन की कमी से 12 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. कर्नाटक के चामराजनगर जिले के चामराजनगर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में 2 से 3 मई के बीच 24 मरीजों की सांसें थम गईं. आंध्रप्रदेश में कोरोना के 45 मरीजों को ऑक्सीजन की कमी की कीमत जान देकर चुकानी पड़ी. खुद राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में दी गई दलील में माना था कि ऑक्सीजन की आपूर्ति में देरी के कारण तिरुपति के रुइया हॉस्पिटल में 23 मरीजों की मौत हुई. हरियाणा सरकार 19 मामलों की जांच कर रही है. ये मौतें 5 अप्रैल से एक मई के बीच ऑक्सीजन की कमी से हुई थीं.
23 अप्रैल को आगरा की इस तस्वीर को लोग भूले नहीं है. आगरा के आवास विकास सेक्टर-सात निवासी रवि सिंघल (47 वर्ष) को उनकी पत्नी रेणु सिंघल ने मुंह से सांस देने की कोशिश की थी. बेड खाली न होने से रवि को किसी हॉस्पिटल में एडमिट नहीं किया गया. रवि की मौत ऑक्सीजन की कमी वाले आंकड़े में शामिल नहीं हुई होगी. सरकार क्या मौत वाली इन खबरों को भूल गई है ?
12- 13 अप्रैल 2021 -महाराष्ट्र के वसई-विरार के दो हॉस्पिटलों में 10 मरीजों की मौत की खबर आई. रिपोर्टस के अनुसार, इन दो दिनों में विनायका अस्पताल में सात औक नालासोपारा स्थित रिद्धि विनायक अस्पताल के तीन मरीजों ने दम तोड़ दिया था.
17 अप्रैल 2021 - मध्यप्रदेश के शहडोल मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की सप्लाई का प्रेशर कम होने से 12 कोविड मरीजों की मौत हो गई थी. ये सभी ICU में भर्ती थे.
23-24 अप्रैल - दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में 25 मरीजों की मौत हो गई थी .
26 और 27 अप्रैल 2021 -उत्तर प्रदेश के आगरा में सात मरीजों की मौत हो गई.
23 अप्रैल 2021 -जबलपुर (मध्यप्रदेश) के गैलेक्सी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी से 5 मरीजों ने दम तोड़ दिया.
24 अप्रैल 2021 -दिल्ली के जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में 20 लोगों की मौत हो गई थी.
4 मई 2021 -कर्नाटक में कलबुर्गी के अफजलपुर तालुका के अस्पताल में कम से कम चार कोरोना वायरस मरीजों की कथित तौर पर मौत हो गई थी.
4 मई 2021 -गोवा मेडिकल कॉलेज में 13 मरीजों की जान चली गई थी.
अगर सिर्फ अप्रैल 2021 के आंकड़े को देखें, तो भारत में करीब 45 हजार लोगों की जान गई. तब एक्टिव केस की संख्या 25 लाख तक बढ़ गई थी. अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं थे. लोग घरों में दम तोड़ रहे थे, ऐसे में ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौत हुई होगी, इसका आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.
1 अप्रैल को भारत में कोरोना का हाल
- कुल केस: 1,23,02,115
- कुल मौत: 1,63,428
- एक्टिव केस: 6,10,929
30 अप्रैल को भारत में कोरोना का हाल:
- कुल केस: 1,87,54,984
- कुल मौत: 2,08,313
- एक्टिव केस: 31,64,825
कोरोना में ऑक्सीजन की डिमांड बढ़ गई थी.
देश में 15 से 24 अप्रैल के बीच यानी 9 दिनों में ही मेडिकल ऑक्सीजन की मांग 67 प्रतिशत बढ़ गई थी. 15 अप्रैल से पहले सिर्फ 12 राज्यों को ऑक्सीजन की किल्लत थी, इसके बाद केंद्र से ऑक्सीजन मांगने वाले राज्यों की संख्या बढ़कर 22 हो गई थी. पीक टाइम में इन राज्यों ने कुल 8 हजार 172 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की थी, जो 15 अप्रैल की तुलना में 67 पर्सेंट ज्यादा थी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि दूसरी लहर में केंद्र की ओर से 28 मई तक राज्यों को 10,250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई की गई.
30 मई को खुद रेलवे मंत्रालय ने बताया था कि रेलवे ने 21, 392 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन पूरे देश में सप्लाई की थी. इसके लिए 313 ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनें चलाईं गईं. 15 राज्यों में सप्लाई के लिए 1, 274 टैंकर यूज किए गए.
जब अप्रैल में हालात खराब हुए तो विदेशों से मदद आई. पहली मदद पहली खेप 25 अप्रैल को सिंगापुर से भारत पहुंची थी. अमेरिका ने 328 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भेजा था. 30 मई तक विश्व के 40 देशों ने ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वेटिलेटर और दवाइयां भारत को भेज चुका था.
विपक्ष को रास नहीं आया मौत नहीं होने का दावा
शिवसेना के सांसद राउत ने केंद्र सरकार की आलोचना की है. शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, 'मेरे पास शब्द नहीं हैं. ऑक्सीजन की कमी से अपनों को खोने वाले इस बयान को सुनकर उनके परिवारों का क्या होगा? सरकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए. वे झूठ बोल रहे हैं.' कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया कि कोरोना काल में सरकार की कमियों के कारण मौत हुई. प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मौत के कारण बताए. उन्होंने कहा कि मौतें इसलिए हुईं क्योंकि महामारी वाले साल में सरकार ने ऑक्सीजन निर्यात 700 प्रतिशत तक बढ़ा दिया था. ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट करने वाले टैंकरों की व्यवस्था नहीं की.
राहुल गांधी ने भी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि अपनों को खोने वालों के आंसुओं में सब रिकॉर्ड है. बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार से पूछा कि क्या कोरोना काल में लोगों ने आत्महत्या की है.
कौन झूठ बोल रहा है...
महाराष्ट्र के हेल्थ कमिश्नर रामास्वामी एन ने दावा किया कि ऑक्सीजन की कमी से राज्य में मौत नहीं हुई. दिल्ली सरकार ने 20 मई को हाईकोर्ट को बताया है कि उनके पास फिलहाल ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है. छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव और बिहार के हेल्थ मिनिस्टर मंगल पांडेय ने भी अपने-अपने राज्यों में ऑक्सीजन से कमी से मौत से इनकार किया है.
कैसे छिपा ले गए ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा
केंद्र सरकार की दलील है कि किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई मृत्यु पर कोई आंकड़ा नहीं भेजा. किसी ने यह नहीं कहा कि उनके राज्य में ऑक्सीजन की कमी को लेकर मौत हुई है. केंद्र सरकार का कहना है कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है. वह सिर्फ राज्यों के भेजे डेटा को संग्रहित करती है. उसने एक गाइडलाइन जारी किया है, जिसके आधार पर राज्य अपने मौत के आंकड़ों को रिपोर्ट कर सकें.