नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसकी ओर से दिया गया यह आश्वासन कायम रहेगा कि जो लोग 2001 के रोशनी अधिनियम को खत्म करने के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचे हैं उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ को जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि नौ अक्टूबर के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका वहां पर लंबित है तथा इस पर सुनवाई बृहस्पतिवार को होगी.
पीठ ने इस पर गौर किया कि पुनर्विचार याचिका उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए अभी आई नहीं है तथा कहा कि इसके बाद याचिकाकर्ता शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र हैं.
गत दस दिसंबर को मेहता ने कहा था कि इस मामले में शीर्ष न्यायालय जाने वाले याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि वे 'भूमि पर कब्जा करने वाले या अनधिकृत लोग' नहीं हैं.