बेंगलुरु :कोरोना वायरस की दूसरी लहर से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हाहाकार मचा हुआ है. मरीजों को आईसीयू और ऑक्सीजन सिस्टम की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. लोग अपने बीमार परिजनों को एंबुलेंस में लेकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
सरकार तमाम तरह के दावे कर रही है, हालांकि जमीनी सच्चाई कुछ और ही है. उदाहरण के लिए येलहंका सार्वजनिक अस्पताल में ऑक्सीजन लेने के लिए लंबी लाइन लगी थी. लोगों को खड़े-खड़े घंटों बीत गए, लेकिन ऑक्सीजन की व्यवस्था होते नजर नहीं आ रही थी. आलम यह है कि जिस अस्पताल के बाहर लोग और सरकारी एंबुलेंस ऑक्सीजन के लिए खड़े हैं, उसे खुद 10 सिलेंडरों की जरूरत है.
शहर में सरकारी अस्पतालों की हालत खराब है. एक अस्पताल ने तो दरवाजे पर 'नो बेड' का बोर्ड लगा दिया. यह घटना शिवाजीनगर के चरक सरकारी अस्पताल की है. अस्पताल में कोरोना संक्रमितों की लिए 50 बेड का इंतजाम किया गया था, हालांकि वह भर गए हैं. इसलिए अस्पताल प्रशासन को 'नो बेड' का बोर्ड लगाना पड़ा और दरवाजा बंद करना पड़ा.
कोरोना संक्रमण के तेजी से फैलने के कारण ऑक्सीजन की खपत भी तेजी से बढ़ी है. शहर में अव्यवस्था इस कदर फैली हुई है कि खुद डॉक्टर को एंबुलेंस में बैठकर मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर खोजने निलना पड़ा.