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किसी भी तरह का सीमांकन कश्मीर व लद्दाख के जमीनी हालात नहीं बदल सकता: अब्दुल्ला - सांसद फारूक अब्दुल्ला

नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और सांसद फारूक अब्दुल्ला (MP Farooq Abdullah) ने परिसीमन रिपोर्ट पर पार्टी के रुख को दोहराया है. उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का सीमांकन जम्मू कश्मीर व लद्दाख में जमीनी स्थिति को नहीं बदल सकता है.

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Published : May 8, 2022, 12:21 PM IST

श्रीनगर:नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख और सांसद फारूक अब्दुल्ला (MP Farooq Abdullah) ने परिसीमन रिपोर्ट पर कहा कि इसस जमीनी हालात नहीं बदलने वाले हैं. कुलगाम पहुंचे अब्दुल्ला ने मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत की. वे पार्टी के उपाध्यक्ष कुलगाम मोहम्मद यूसुफ डार के शोक संतप्त परिवार से मिलने पहुंचे थे.

उनके साथ जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक, सांसद हसनैन मसूदी, दक्षिण क्षेत्र के अध्यक्ष बशीर वीरी, जिलाध्यक्ष अब्दुल मजीद भट लारमी, पार्टी नेता रियाज खान, अब्दुल रहमान तांत्रे और अन्य लोग थे. अब्दुल्ला ने कहा कि परिसीमन की पूरी प्रक्रिया पर कहा कि पार्टी का रुख बिल्कुल स्पष्ट है. पूरी प्रक्रिया अस्पष्ट एजेंडे पर पर्दा डालने की कवायद है. उन्होंने कहा कि यह पूरी कवायद को सार्वभौमिक रूप से स्वीकार कर लिया गया और चुनावी प्रतिनिधित्व के संबंध में मानदंडों और सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया.

हालांकि कोई भी सीमांकन भाजपा और उसके समर्थकों को लोगों के क्रोध से नहीं बचा पाएगा. उन्होंने कहा कि लोगों ने जम्मू-कश्मीर के साथ किए गए सभी कार्यों के लिए भाजपा और उसके समर्थकों को दंडित करने का मन बना लिया है. चाहे वे कितने भी झूठे मोर्चे लगा दें, लोग उन लोगों को माफ नहीं करेंगे जिन्होंने इस क्षेत्र को लूटा है. कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है. हमारे युवा चौराहे पर हैं. हमारे व्यापारी अभूतपूर्व परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. हमारा पर्यटन, ट्रांसपोर्टरों और कारीगरों की दुर्दशा झेल रहा है. मुद्रास्फीति, बेरोजगारी ने लोगों की चिंताओं को बहुत बढ़ा दिया है.

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परिसीमन आयोग ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के लिए परिसीमन को अंतिम रूप दिया. जिसने केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनावों का मार्ग प्रशस्त किया है. परिसीमन आदेश केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित तारीख से प्रभावी होगा. अंतिम परिसीमन आदेश के अनुसार 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 43 जम्मू क्षेत्र और 47 कश्मीर क्षेत्र का हिस्सा होंगे. पहली बार अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए नौ सीटें आरक्षित की गई हैं. जिसमें जम्मू क्षेत्र में छह और कश्मीर घाटी में तीन सीटें हैं. सात सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गई हैं. तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान ने विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान नहीं किया था.

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