कोटा.नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम 2023 की फॉर्म फिलिंग ऑनलाइन शुरू (JEE Main 2023 Notification) कर दी है. करीब 4 दिन में 60 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने आवेदन कर दिए हैं. परीक्षा में हर साल करीब 10 लाख विद्यार्थी शामिल होते हैं, लेकिन इस बार परीक्षा देने वाले लाखों की संख्या में छात्र संशय में हैं. इसका कारण है पिछले 3 सालों से कोविड-19 के चलते बोर्ड की पात्रता में छूट को हटाया जाना. नोटिफिकेशन में 2019 तक जो नियम थे, उन्हें दोबारा लागू करने की बात कही गई है. इसके तहत जनरल, ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के लिए 75 फीसदी अंक और एससी-एसटी के लिए 65 फीसदी अंक की पात्रता लागू होती थी.
इसके साथ ही इंफॉर्मेशन बुलेटिन में पहले बोर्ड प्रतिशत अंकों की पात्रता में टॉप 20 परसेंटाइल का जिक्र (Eligibility criteria for JEE Main 2023) किया जाता था, लेकिन इस बार इसे भी हटा दिया गया है. जबकि कई स्टेट बोर्ड ऐसे हैं जिनका औसत परिणाम 75 फीसदी से कम रहता है. विद्यार्थियों का कहना है कि उन्होंने कोविड-19 के दौरान बोर्ड परीक्षा पास की थी. उस समय बोर्ड परीक्षा की प्रतिशत पात्रता बड़े इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के लिए हटाई गई थी. ऐसे में इस साल भी उसे लागू रखना चाहिए. विद्यार्थियों का कहना है कि जो बच्चे 2023 में बोर्ड की परीक्षा देने वाले हैं, उनके लिए ये नियम लागू कर दें.
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करियर काउंसलिंग एक्सपर्ट अमित आहूजा विद्यार्थियों को सलाह दे रहे हैं कि उन्हें जेईई मेन की फॉर्म फिलिंग जरूर (Students facing multiple issues in JEE Main 2023) करनी चाहिए. वे उम्मीद भी जता रहे हैं कि जल्द ही सरकार बोर्ड प्रतिशत पात्रता पर स्पष्टीकरण जारी कर देगी. दूसरी तरफ विद्यार्थियों ने भी इस संबंध में जल्द ही स्पष्टीकरण का गुहार सरकार से लगाई है.
9 स्टेट और कई ट्रिपल आईटी में नहीं है ये बाध्यता :एक्सपर्ट आहूजा ने बताया कि ट्रिपल आईटी बेंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली, नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्निकल (एनएसआईटी), दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू), आर्मी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पुणे (एआईटी) एमएनआईटी जयपुर, थापर व निरमा जैसे संस्थानों में यह बोर्ड प्रतिशत की बाध्यता लागू नहीं है. साथ ही मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, गुजरात, उड़ीसा, महाराष्ट्र, पंजाब सहित नौ स्टेट ऐसे हैं, जहां पर भी बोर्ड प्रतिशत की पात्रता से छूट मिलती है. इन राज्यों के तकनीकी संस्थानों में जेईई मेन के परिणाम के अनुसार ही प्रवेश मिलता है. जेईई मेन में लाख रैंक लाने वाले विद्यार्थियों को भी इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश मिल जाता है.
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यहां परिणाम ही नहीं रहता 75 फीसदी :दूसरी तरफ, कई स्टेट बोर्ड ऐसे हैं (75 percent in Board for JEE Main 2023) जिनका औसत रिजल्ट 75 प्रतिशत नहीं रहता है. ऐसे में उन स्टेट्स के बच्चों को काफी नुकसान होने की संभावना है. इनमें बिहार, झारखंड, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, नागालैंड, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा शामिल हैं. क्योंकि इन राज्यों का साइंस रिजल्ट 75 फीसदी से कम या फिर कुछ ज्यादा होता है. ऐसे विद्यार्थियों की पात्रता एनआईटी व आईआईटी में प्रवेश के लिए बनाए रखने के लिए पहले के नियम के अनुसार टॉप 20 परसेंटाइल वाले विद्यार्थियों को एलिजिबल माना जाता था. लेकिन इंफॉर्मेशन बुलेटिन में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने इस बात का जिक्र नहीं किया है. इसके चलते भी विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है.
1 साल पहले दी जानी चाहिए थी जानकारी :एक्सपर्ट अमित आहूजा ने बताया कि जेईई मेन की (NTA restored eligibility Criteria of 75 percent) आवेदन प्रक्रिया जारी है. अब तक 60 हजार से अधिक स्टूडेंट्स आवेदन भी कर चुके हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन सैकड़ों स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं, जिन्होंने असमंजस के बावजूद आवेदन कर दिया है. उनकी मांग है कि तीन वर्षों से जो बोर्ड पात्रता में छूट दी जा रही थी, उसे इस वर्ष भी जारी रखी जाए. यदि बोर्ड पात्रता 75 प्रतिशत तथा आरक्षित वर्ग के लिए 65 प्रतिशत लागू की जाती है, तो एक वर्ष पहले सूचित किया जाना चाहिए. वहीं संबंधित बोर्ड में टॉप-20 पर्सेंटाइल को बोर्ड पात्रता में शामिल नहीं करने से भी बड़ी संख्या में विद्यार्थी वंचित रह गए हैं.
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अचानक निकाले नोटिफिकेशन ने बढ़ाई छात्रों की परेशानी :सीबीएसई और अन्य स्टेट बोर्ड की इंप्रूवमेंट की परीक्षाएं सितंबर-अक्टूबर में ही निकल गई हैं. ऐसे में विद्यार्थियों के लिए अब इंप्रूवमेंट का चांस भी नहीं रहा है. ऐसे विद्यार्थियों की बोर्ड प्रतिशत कम होना, उनके लिए आईआईटी, एनआईटी और ट्रिपल आईटी में प्रवेश के सपने को खो देने जैसा हो गया है. एक्सपर्ट का यह भी मानना है कि सरकार समय से जानकारी विद्यार्थियों को देती तो वे इंप्रूवमेंट कर लेते. साथ ही उन्हें यह भी स्पष्टीकरण करना चाहिए कि 2021 व 2022 में परीक्षा दे चुके विद्यार्थियों पर ये नियम लागू है या नहीं. क्योंकि हजारों की संख्या में वे छात्र भी जेईई की तैयारी कर रहे हैं, जिन्होंने 2021 व 2022 में बोर्ड की परीक्षा पास कर ली है. उनके पास आईआईटी क्रेक करने का एक अवसर मौजूद है. लेकिन अचानक बोर्ड प्रतिशत अंकों की पात्रता से वो परेशान हो रहे हैं.
बाड़मेर के बालोतरा निवासी भावेश परिहार ने 2022 में बोर्ड की परीक्षा पास की थी. उनके 68 प्रतिशत अंक आए थे.भावेश 2 सालों से कोटा में रहकर जेईई की तैयारी कर रहे हैं. बीते साल उन्होंने जेईई मेन में 70 परसेंटाइल के आसपास अंक प्राप्त किए थे, लेकिन वे रिपीट कर तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में उनका कहना है कि इस बार जेईई मेन में 75 फीसदी का क्राइटेरिया आ गया है. इसके चलते एनआईटी, ट्रिपलआईटी व आईआईटी में प्रवेश की समस्या खड़ी हो गई है. हमारी सरकार से यह गुजारिश है कि बीते साल जिसने एग्जाम दिया था, उसे 12वीं बोर्ड प्रतिशत अंक की पात्रता से छूट दी जाए.
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पूरे साल तैयारी की अब बदला क्राइटेरिया :उत्तर प्रदेश के प्रियांशु का कहना है कि 2022 में बोर्ड परीक्षा में उनके 66 फीसदी अंक थे. साथ ही जेईई मेन में 70 परसेंटाइल अंक आए थे. वो दो साल से जेईई की तैयारी कर रहे हैं. अब क्राइटेरिया बदल दिया है. जिन लोगों ने कोविड-19 के चलते 12वीं पास की है, उन्हें काफी दिक्कत हो रही है. ड्रॉपर को और प्रॉब्लम फेस करनी पड़ेगी.
सरकार जल्द स्पष्टीकरण जारी करे :गोरखपुर के नित्यानंद कुशवाहा के 12वीं बोर्ड में 73 प्रतिशत अंक हैं. जबकि जेईई मेन में भी इतनी ही परसेंटाइल बनी थी. नित्यानंद का कहना है कि उनकी एनटीए से अपील है कि नया क्राइटेरिया हटा देना चाहिए. साथ ही इसे पूरी तरह से क्लियर करना चाहिए कि कोरोना के समय जिन्होंने बोर्ड परीक्षा पास की है, उनके लिए ये नियम हैं या नहीं. लाखों बच्चे इसके चलते परेशान हो रहे हैं. फॉर्म भरने की अंतिम तारीख भी 12 जनवरी 2023 है.
सोशल मीडिया पर चला अभियान :नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय से छात्रों ने गुहार की है कि इस पर स्पष्टीकरण जल्द से जल्द दिया जाए. इससे लाखों की संख्या में विद्यार्थी परेशान हो रहे हैं. इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में करीब 10 लाख विद्यार्थी बैठते हैं. इनमें से करीब 2 से 3 लाख विद्यार्थी परीक्षा को रिपीट करते हैं. ऐसे विद्यार्थियों के लिए सोशल मीडिया पर अभियान छेड़ा हुआ है. अचानक आए नोटिफिकेशन के चलते बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है.