पटना: बिहार में नीतीश कैबिनेट ने मंगलवार को हुई बैठक में जातीय गणना में जिन 94 लाख गरीब परिवारों को चिह्नित किया गया था उनको 2-2 लाख रुपए की राशि देने का फैसला लिया है. इस राशि को तीन किश्तों में दिया जाएगा. इसके लिए ऑनलाइन ऑवेदन लिया जाएगा. इसके बाद से राजनीतिक हलकों इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह फैसला चुनावी साल में गेंम चेंजर साबित हो सकता है. विपक्षी दल ऐसे तो नीतीश कुमार पर हमला करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं, फिलहाल इस योजना पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.
ढाई लाख करोड़ राशि की जरूरत पड़ेगी: नीतीश कुमार जातीय गणना की रिपोर्ट जब तैयार कर रहे थे तो उस समय गरीबों के लिए योजना चलाने की बात कही थी. रिपोर्ट जारी होने के बाद नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से विशेष राज्य के दर्जे की मांग की थी, जिससे 94 लाख से अधिक गरीब परिवारों के लिए योजना चला सकें. प्रत्येक परिवार को दो-दो लाख रुपये अनुदान देने के लिए ढाई लाख करोड़ की राशि की जरूरत पड़ेगी. बिहार सरकार इसे 5 साल में पूरा करेगी. लोकसभा चुनाव से पहले यह योजना सरकार शुरू करने की तैयारी में है. कैबिनेट की बैठक में मुहर लग चुकी है. सरकार की ओर से 1250 करोड़ की राशि का बजट का प्रबंध किया गया है.
"इस योजना का भी लाभ गरीबों को मिलेगा. मुख्यमंत्री जो भी काम करते हैं उसका तो लाभ पार्टी को मिलना ही चाहिए. चुनाव में जरूर लाभ मिलेगा."- सुनील कुमार, मद्य निषेध एवं उत्पाद मंत्री
जातीय सर्वे रिपोर्ट के आधार पर स्कीम लांचः ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के पूर्व प्रोफेसर अजय झा का कहना है नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह बड़ी योजना लाई है. गरीब परिवार के सदस्यों को दो लाख की राशि दी जाएगी. इससे कोई भी छोटा उद्योग आसानी से शुरू कर सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी केंद्र सरकार की तरफ से मुद्रा योजना शुरू की है. उसमें 10 लाख तक की राशि मिलती है. वहीं फ्री योजना के तहत अरविंद केजरीवाल मुफ्त बिजली देकर दिल्ली में पहले सरकार बनाई और उसके बाद पंजाब में भी बनाने में सफल रहे हैं. मध्य प्रदेश में लाडली योजना के तहत महिलाओं को 1250 की राशि अब दी जा रही है. नीतीश कुमार ने भी जातीय सर्वे रिपोर्ट के आधार पर स्कीम को लांच किया है.
"भाजपा के लोग जुमलाबाजी करते हैं, लेकिन नीतीश कुमार हमेशा गरीबों के लिए काम करते रहे हैं."- रत्नेश सदा, एससी-एसटी मंत्री
चुनावी घोषणा जैसी है नीतीश की यह योजनाः वहीं अर्थशास्त्री प्रोफेसर एनके चौधरी का कहना है कि नीतीश कुमार ने गरीबों के लिए योजना लाई है. अच्छी बात है लेकिन बजट का प्रबंध सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि पहले से ही सरकार ने शिक्षक की नियुक्ति की है, जिसके वेतन में सरकार को बड़ी राशि खर्च करनी होगी. अब 2 लाख अनुदान देने का फैसला हुआ है. हालांकि अभी शुरुआत में 1250 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है, लेकिन 94 लाख से अधिक परिवार के लिए बड़ी राशि की जरूरत पड़ेगी. इसलिए यह चुनावी घोषणा जैसा लग रहा है.