पटनाःविशेष राज्य के दर्जे की मांग और नई आरक्षण कानून को नवमी अनुसूची में डालने की अनुशंसा का प्रस्ताव नीतीश सरकारने केंद्र को भेज दिया है. पांच पेज के प्रस्ताव में विशेष राज्य के दर्जे के पक्ष में जातीय गणना की हाल में सर्वे रिपोर्ट में जो बातें आई हैं, उसका जिक्र भी किया गया है. निर्धनों को गरीबी से बाहर निकालने के लिए ढाई लाख करोड़ की योजना चलाने की बात कही गई है और इसीलिए विशेष राज्य के मदद की मांग केंद्र सरकार से की गई है.
नीतीश सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्तावः नीतीश सरकार की ओर से 22 नवंबर को कैबिनेट में विशेष राज्य के दर्जे से संबंधित मांग का प्रस्ताव पास किया गया था. साथ ही राज्य में आरक्षण की सीमा 50% से बढ़कर 65% करने का जो फैसला लिया गया. इसका प्रस्ताव भी पास किया गया कि केंद्र इसे नौंवी अनुसूची में डाले. कैबिनेट में लिए गए फैसले के बाद उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी और योजना एवं विकास मंत्री विजेंद्र कुमार यादव ने मीडिया के सामने सरकार का पक्ष भी एक दिन बाद रखा था.
जातीय सर्वे रिपोर्ट आने पर फिर दोहराई मांग: बिहार सरकार ने हाल ही में जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी की है, जिसमें 94 लाख परिवार गरीबी में जी रहे हैं सरकार इन परिवार को गरीबी रेखा से बाहर निकालने के लिए दो-दो लाख रुपये की योजना की घोषणा की है. इसके अलावा भूमिहीनों को जमीन खरीदने के लिए भी 100000 देने की घोषणा की. अन्य कल्याणकारी योजनाओं चलाने की बात भी कई है. इन सब के लिए ढाई लाख करोड़ की जरूरत होगी.
बिहार को 40000 करोड़ की होगी बचतःवित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बिहार की आर्थिक स्थिति के आधार पर कहा कि बिहार के बूते से इतना संसाधन जुटाना संभव नहीं है और इसलिए केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे. जिससे केंद्रीय योजनाओं में बिहार की जो राशि लग रही है, उसमें 40000 करोड़ की बचत होगी. जिससे गरीबों के लिए योजना का चलाना आसान हो जाएगा. केंद्र को भेजे प्रस्ताव में भी बिहार सरकार ने इन सब बातों का जिक्र किया है. साथ ही आरक्षण सीमा बढ़ाने के लिए जो नया कानून पास हुआ है. वह कोर्ट के पचरा में ना पड़े इसलिए नौंवी अनुसूची में डालने का प्रस्ताव भी भेजा है.
लंबे समय से हो रही है विशेष राज्य की मांगः विशेष राज्य के दर्जे की मांग ऐसे तो वैसे लंबे समय से हो रही है, लेकिन जातीय सर्वे की रिपोर्ट जारी होने के बाद बिहार सरकार की ओर से जो योजना चलाई जाने की बात कही जा रही है, उसके लिए विशेष राज्य की मांग अब की जा रही है और यह भी कहा जा रहा है कि देश को विकसित बनाना है तो बिहार पर विशेष ध्यान देना होगा. देश का प्रति व्यक्ति वार्षिक आय राष्ट्रीय औसत डेढ़ लाख की तुलना में बिहार का 54,000 के आस-पास है.
बिहार सरकार ने केंद्र के पाले में डाली गेंदः सरकार का कहना है कि यह तब है, जब बिहार का विकास दर पिछले एक दशक से दो अंकों में है और इसी तरह के कई आंकड़ों और तर्कों के आधार पर बिहार सरकार ने केंद्र को जो प्रस्ताव भेजा है, उसके आधार पर विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है और आरक्षण पर भी कोई आंच ना आए, उसे नौंवी अनुसूची में शामिल करने का आग्रह किया है. अब केंद्र सरकार बिहार के भेजे प्रस्ताव पर क्या फैसला लेती है, यह देखना दिलचस्प होगा क्योंकि चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने एक बड़ा दांव खेला है.
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