मुंबई : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को कहा कि चुनाव में मुफ्त उपहार का वादा कर सत्ता में आने वाले राजनीतिक दलों को इन उपहारों पर होने वाले खर्च के लिए बजट में प्रावधान भी करना चाहिए. सीतारमण ने कई राज्यों में मुफ्त बिजली दिए जाने के वादों का जिक्र करते हुए कहा कि इन मुफ्त उपहारों का बोझ बिजली वितरण कंपनियों या उत्पादक कंपनियों पर नहीं डाला जाना चाहिए.
सीतारमण ने यहां एफई सर्वश्रेष्ठ बैंक पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'अगर चुनाव के समय लोगों से कोई वादा किया गया है तो यह परस्पर लाभ का मामला बनता है. एक जिम्मेदार राजनीतिक दल के तौर पर आपको सत्ता में आने के बाद इसके लिए बजट में प्रावधान भी करना चाहिए.' उन्होंने कहा कि बिजली क्षेत्र में सरकारों की तरफ से किए गए मुफ्त उपहार के वादों के बाद कई बार उनका भुगतान पूरी नहीं किया गया और उसका बोझ कंपनियों को ही उठाना पड़ा.
उन्होंने कहा, 'ऐसी स्थिति में बोझ उन बिजली कंपनियों पर आ जाता है जिनका चुनावों से कोई नाता नहीं है. इन कंपनियों ने तो लोगों से वोट नहीं मांगे थे. फिर उन पर इन वादों का बोझ क्यों डालना चाहिए.' उन्होंने कहा, 'बहस इस बात को लेकर नहीं है कि मुफ्त उपहार की श्रेणी में क्या आता है. सवाल यह है कि अगर आपने कोई वादा किया है तो उसके लिए प्रावधान भी किया जाए.' सीतारमण की यह टिप्पणी पिछले कुछ दिनों में मुफ्त उपहारों की संस्कृति को लेकर जारी बहस के बीच आई है. केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी दलों के बीच इन मुफ्त उपहारों को लेकर खासा विवाद मचा हुआ है.