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Nirjala Ekadashi 2022 निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस, जानें क्या है व्रत का उत्तम दिन और समय

निर्जला एकदशी को सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन बिना जल के व्रत रहने से जीवन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस बार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी की तिथि दो दिन पड़ रही है. इसलिए निर्जला एकादशी का व्रत के समय को लेकर असमंजस है. आइए जानें किस दिन व्रत रखना उत्तम है.

Nirjala Ekadashi 2022
Nirjala Ekadashi 2022

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Published : Jun 9, 2022, 10:32 AM IST

नई दिल्ली :ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) मनाई जाती है. पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ शुक्ल की एकादशी तिथि 10 जून को सुबह 7 बजकर 28 मिनट के बाद शुरू हो जाएगी, जो 11 जून यानी शनिवार की शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगी. इन दोनों में एक तिथि 11 जून को निर्जला एकादशी का व्रत रखना उत्तम माना गया है, क्योंकि हिंदू धर्म में दिन की शुरुआत सूर्योदय से होती है और अगले दिन के सूर्योदय तक एक दिवस माना जाता है. इस नियमानुसार ही निर्जला एकादशी का व्रत शनिवार को रखा जाएगा. शनिवार शाम एकादशी के बाद त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी. इस बार द्वादशी का क्षय हो गया है, इसलिए 11 जून को अति शुभ संयोग भी बन रहा है.

निर्जला एकादशी की कथा :निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी भी कहा जाता है. जनश्रुतियों के अनुसार, महाभारत काल में पांडव में से एक भीमसेन को महर्षि वेद व्यास ने हर महीने एकादशी व्रत करने की सलाह दी. इस पर भीम ने महात्मा वेद व्यास से निवेदन किया कि हर महीने व्रत रखना उनके लिए मुश्किल है, क्योंक उन्हें काफी भूख लगती है. इसलिए वह कोई ऐसा व्रत बताएं, जिसे एक बार करने से ही पुण्य फल मिले. तब महर्षि वेदव्यास ने उन्हें ज्येष्ठ मास की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी व्रत करने की सलाह दी. यदि निर्जला एकादशी के सूर्योदय से लेकर द्वादशी के सूर्योदय तक जल ग्रहण न करें, तो पूरे साल के एकादशी व्रतों का पुण्य इस व्रत को करने से मिलता है. महर्षि की सलाह पर भीमसेन ने निर्जला एकादशी का व्रत रखा था. तभी से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाने लगा.

निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि :एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर सूर्य देवता को जल अर्पित करें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. फिर पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें. पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें. निर्जल व्रत रखें. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन आरती करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. मृत्यु के बाद स्वर्ग में जगह मिलता है. चूंकि इस बार द्वादशी तिथि नहीं है इसलिए रविवार त्रयोदशी को पारण करने से पहले गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें. कहा जाता है कि एकादशी व्रत को सच्चे मन से रखने वाले भक्त सभी सांसरिक सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष प्राप्त करते हैं.

निर्जला एकादशी के दिन क्या करें, क्या नहीं करें

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी जुआ नहीं खेलना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति के वंश का नाश होता है.
  • इस दिन चोरी करने से बचना चाहिए. नहीं तो 7 पीढ़ियों को उसका पाप लगता है.
  • एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए व्रत के दौरान खान-पान और अपने व्यवहार में संयम बरतनी चाहिए.
  • एकादशी व्रत में व्रती को पूरी रात भगवान विष्णु की भक्ति, मंत्र जाप और जागरण करना चाहिए.
  • एकादशी के दिन किसी भी व्यक्ति से बात करने के लिए कठोर शब्दों का प्रयोग करने से बचना चाहिए. इसके अलावा क्रोध और झूठ बोलने से भी बचें.
  • निर्जला व्रत के दौरान पौधों में पानी डालना और जल का दान करना शुभ माना जाता है.

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