नई दिल्ली :लोक सभा में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च अमेंडमेंट बिल (National Institute of Pharmaceutical Education and Research Amendment Bill-2021) पर चर्चा के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने जवाब दिया. मंडाविया के जवाब के बाद संशोधनों के साथ NIPER संशोधन विधेयक-2021 पारित हो गया.
उन्होंने कहा कि आज संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस है. ऐसे में NIPER संशोधन विधेयक-2021 पर चर्चा और इस बिल को पारित करने की प्रक्रिया विशेष है.
लोक सभा में सोमवार को 'राष्ट्रीय औषधि शिक्षण और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक 2021' पर चर्चा हुई. कई सदस्यों ने देश में औषधि अनुसंधान को बढ़ावा देने और समयबद्ध तरीके से उत्कृष्ठ अनुसंधान संस्थानों का परिसर स्थापित किये जाने की मांग की.
मंडाविया ने विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखते हुए कहा कि औषधि क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थान राष्ट्रीय महत्व के संस्थान बनें, इनमें शोध हो तथा शैक्षणिक संस्थान स्थापित हो सकें... इस उद्देश्य के साथ यह विधेयक लाया गया है.
चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के अब्दुल खालिक ने विधेयक में कुछ संशोधनों को लेकर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि संबंधित बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्यों की संख्या को कम कर दिया गया है और सांसदों को भी इससे हटाया गया है. उन्होंने कहा कि सांसद जनप्रतिनिधि होते हैं और वे भी अहम सुझाव दे सकते हैं. खालिक ने यह भी कहा कि बोर्ड का प्रमुख एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो औषधि क्षेत्र में विशेषज्ञता रखता हो.
गुणवत्ता पर ध्यान देने की कोशिश
भारतीय जनता पार्टी के राजदीप रॉय ने कहा कि यह विधेयक संस्थानों को ज्यादा अधिकार देता है. ये संस्थान अपना पाठ्यक्रम संचालित कर सकते हैं और परीक्षा का आयोजन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि संचालक मंडल में सदस्यों की संख्या को कम करने का फैसला किया गया है ताकि गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए और ये संस्थान भी आईआईटी और आईआईएम के बराबर खड़े हो सकें.
रॉय ने कहा कि देश औषधि उद्योग में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में बदलती दुनिया के हिसाब से खड़े होने के लिए उचित कानूनों की जरूरत है. उनके मुताबिक, इस विधेयक को लेकर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है.
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