नई दिल्ली :अपनी मांगों को लेकर एनआईओएस डीएलएड शिक्षकों ने सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया. वहीं इन शिक्षकों के नीति आयोग से संसद की ओर मार्च करने की कोशिश के दौरान पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया. बता दें कि शिक्षकों का एक समूह फरवरी महीने में विरोध के लिए राष्ट्रीय राजधानी पहुंचा था, लेकिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि के साथ बैठक के बाद इन्होंने अपने मार्च को स्थगित कर दिया था. बैठक में इन शिक्षकों की समस्याओं को हल करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन उस दिशा में कोई कारगर पहल नहीं हो सकी.
एनआईओएस डीएलएड शिक्षकों ने किया विरोध प्रदर्शन वर्ष 2019 में इन शिक्षकों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले NIOS में दो साल का डीएलएड (DELED) कोर्स पूरा किया. इतना ही नहीं कोर्स पूरा करने के बाद शिक्षक भी परीक्षा में शामिल हुए, लेकिन एनआईओएस ने उन्हें 'एनसी' (नॉट कन्फर्म्ड) टैग के साथ छोड़कर कभी भी कोई सर्टिफिकेट जारी नहीं किया.
एनआईओएस डीएलएड शिक्षक संघ के मुताबिक बिहार सरकार ने पिछले तीन साल में इस तरह के 17 हजार शिक्षकों का वेतन रोक दिया है. इस संबंध में शिक्षक संघ के अध्यक्ष ईआर देबाशिशा होता ने कहा कि जब हमने एनआईओएस से संपर्क किया तो उन्होंने गलती के लिए एनसीटीई को दोष देने से बचने की कोशिश की. इसके लिए शिक्षा मंत्रालय आरटीई-2009 अधिनियम को दोषी ठहराता है.हालांकि हालांकि आरटीई -2009 अधिनियम में भी शिक्षकों को 'एनसी टैग' देने का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि कुल 1.8 लाख ऐसे शिक्षक हैं जिनका भविष्य 'नॉट कन्फर्म' टैग से अनिश्चित है.
मामले को लेकर संघ ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर एनसी टैग को हटाने और बायोस से प्रमाणपत्र जारी करने की मांग की है ताकि वे नियमित शिक्षकों के रूप में काम करना जारी रख सकें. गौरतलब है कि संघ ने पिछले साल नवंबर में पांच दिनों तक जंतर-मंतर पर धरना भी दिया था, लेकिन इसके बाद भी अब तक सरकार उनकी समस्या का समाधान करने में विफल रही है. इस एनसी टैग से पीड़ित सैकड़ों शिक्षक केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से अपनी समस्या के तत्काल समाधान की मांग को लेकर राजधानी में डेरा डाले हुए हैं.
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