हैदराबाद: नीरा राडिया, ये नाम एक बार फिर चर्चा में है. ये वही नाम है जिसके चलते केंद्र सरकार के एक मंत्री को इस्तीफा तक देना पड़ गया था. ये वही नाम है जिसका नाम टैक्स हैवन देशों में पैसा लगाने वालों की सूची बताने वाली लगभग हर अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में है. दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने नीरा राडिया को करोड़ों के गबन के एक मामले में पूछताछ के लिए नोटिस भेजा है. आखिर कौन है नीरा राडिया ? फिलहाल ये नाम क्यों सुर्खियों में हैं ? और इससे पहले क्यों ख़बरों में रही हैं नीरा राडिया ?
अभी किस मामले में किया गया है राडिया को नोटिस
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने एक मामला दर्ज किया है, जिसके तहत दो फर्मों की जांच चल रही है. इनमें से एक फर्म नयति हेल्थकेयर की चेयरपर्सन और प्रमोटर नीरा राडिया हैं. नयति के साथ-साथ एफआईआर में एक अन्य कंपनी नारायणी इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड का नाम शामिल है. दोनों पर 300 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है जो एक ऋण के माध्यम से प्राप्त की गई थी.
300 करोड़ के गबन को लेकर नीरा राडिया को नोटिस नयति और नारायणी पर हॉस्पिटल बनाने के लिए 2018-2020 के बीच 312.50 करोड़ रुपये की राशि के गबन और जालसाजी का आरोप लगाया गया है. यह शिकायत दिल्ली के आर्थोपेडिक सर्जन राजीव के. शर्मा ने दायर की थी. सूत्रों के अनुसार, फर्मों ने विभिन्न जानेमाने ठेकेदारों के नाम पर फर्जी खाते खोलकर और इन खातों में सीधे ऋण राशि हस्तांतरित कर बैंक ऋण से करोड़ों का गबन किया. शर्मा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि 400 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण और इक्विटी मनी को निकाल लिया गया है, जबकि गुरुग्राम अस्पताल की इमारत की हालत 'पहले से भी बदतर' हो गई है.
इस मामले में अब तक 3 लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है और नयति हेल्थकेयर का नाम आने पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने कंपनी की चेयरपर्सन और प्रमोटर नीरा राडिया और उनकी बहन को भी पूछताछ के लिए समन भेजा है.
कौन है नीरा राडिया ?
नीरा मैनन का जन्म 19 नवंबर 1960 को केन्या में एक पंजाबी परिवार में हुआ. उनके माता-पिता सुदेश और इकबाल नारायण मेनन पहले केन्या और फिर लंदन शिफ्ट हो गए. लंदन में ही नीरा की पढ़ाई हुई और साल 1981 में उन्होंने एक गुजराती बिजनेसमैन जनक राडिया से शादी कर ली. नीरा राडिया के 3 बेटे हैं. साल 1994 में नीरा राडिया भारत आ गईं. नीरा राडिया अंक ज्योतिष में विश्वास रखती हैं, भारत आने पर उन्होंने अपने नाम Nira से Niira कर लिया.
राडिया ने शुरुआत में सहारा एयरलाइंस और बोइंग बनाने वाली अमेरिकी कंपनी के बीच डील में मदद की. इसमें उनकी मदद उनके पिता ने की जो एविएशन इंडस्ट्री से ही जुड़े हुए थे. जिसके बाद उन्हें सहारा ने एविएशन कंसल्टेंट बना दिया. नीरा का काम सहारा के लिए लाइजनिंग और लॉबिंग करने का था. इसके बाद राडिया एविएशन सेक्टर में ही वो कंपनियों के बीच अपने संपर्कों की मदद से लॉबिस्ट की भूमिका निभाती रहीं. वो रतन टाटा से लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज तक के लिए जनसंपर्क और लॉबिंग का काम कर चुकी हैं. भारत आने के कुछ ही सालों में वैष्णवी कम्युनिकेशन नाम की जनसंपर्क कंपनी समेत 4 कंपनियां खड़ी कर दीं. वैष्णवी कम्यूनिकेशन, नोएसिस स्ट्रैटजिक कंसल्टिंग लिमिटेड, विटकॉम और न्यूकॉम कंसल्टिंग.
टाटा, रिलायंस समेत कई कंपनियों से जुड़ी रहीं नीरा राडिया एक वक्त ऐसा भी आया जब साल 2000 में नीरा राडिया एक एयरलाइंस शुरू करना चाहती थी लेकिन पूंजी से जुड़ी जरूरतें पूरी ना करने के कारण नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इसकी इजाजत नहीं दी. इस बीच राडिया के संपर्क सूत्र कंपनियों तक सीमित नहीं रहे, धीरे-धीरे मीडिया से लेकर सरकारी विभागों और यहां तक कि केंद्र सरकार तक उनकी पहुंच हो गई और इसी सांठगांठ के चलते वो पहली बार सुर्खियों में भी आईं. एक अनुमान के मुताबिक इन चारों कंपनियों के पास देश की करीब 150 से 200 कंपनियों के लिए लाइजनिंग का ठेका था, जिससे सालाना 400 से 500 करोड़ की कमाई होती थी. इन कंपनियों में टाटा समूह की सभी 90 कंपनियां भी शामिल थीं.
फिलहाल नीरा राडिया हेल्थ सेक्टर से जुड़ी हुई हैं उनकी नयति हेल्थकेयर नाम की कंपनी है. साल 2016 में नयति हेल्थ केयर नामक संस्था बनाकर वह हेल्थ सेक्टर में उतरीं. देश के कई राज्यों में नयति के अस्पताल हैं.
यूपीए-2 और राडिया टेप
साल 2010 में यूपीए-2 की सरकार थी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह लगातार दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन चुके थे. इसी दौरान राडिया टेप्स लीक हुए और नीरा राडिया का नाम खूब चर्चा में आया. दरअसल फोन पर तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए. राजा और कई बड़े पत्रकारों से हुई उनकी बातचीत लीक हो गई थी. राडिया ने यूपीए-2 में नेताओं को मंत्री पद दिलवाने के लिए कुछ पत्रकारों और नेताओं के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल किया था.
राडिया टेप की वजह से ए. राजा ने दिया था इस्तीफा इन फोन टेप से 2जी स्पैक्ट्रम केस में टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा के शामिल होने की बात भी साफ हो गई. जिसके बाद ए. राजा को मंत्रीपद से इस्तीफा तक देना पड़ गया था. उस दौरान नीरा राडिया के करीब 800 ऑडियो टेप सुर्खियों में थे. इस प्रकरण की वजह से तत्कालीन मनमोहन सरकार भी सवालों में आ गई थी. जिसके बाद राडिया ने अपनी जनसंपर्क (Public relation) कंपनी बंद करनी पड़ी.
लॉबिस्ट क्या होता है ?
किसी कंपनी द्वारा अपने पक्ष में पैरवी करवाने के लिए प्रभाव का इस्तेमाल करना लॉबिंग का हिस्सा है. ऐसा किसी बिजनेस डील को सफलतापूर्वक अपने पक्ष में मोड़ने के लिए किया जाता रहा है और कंपनियां इसके लिए करोड़ों, अरबों तक दांव पर लगाती हैं. लॉबिस्ट एक तरह का बिचौलिया होता है जो दो कंपनियों के बीच डील में अपने संबंधों, पैसे और पावर के बलबूते अहम भूमिका निभाता है. जिस कंपनी के लिए वो लॉबिंग करता है, डील को अंजाम देने पर उसे अच्छी खासी रकम या हिस्सेदारी तक मिलती है.
लॉबिस्ट अपने पक्ष में काम करवाने या पैरवी करवाने के लिए राजनीतिक मुहिमों को धन देकर सरकार पर दबाव डलवाने का काम भी करते हैं. लॉबिंग के जरिए ही कई निजी कंपनियां अपने पक्ष में लेख लिखवाने के साथ सेमिनार, वर्कशॉप का आयोजन करवाती हैं ताकि अपने पक्ष में माहौल बन सके.
अमेरिकी चुनाव में बडे़ पैमाने पर लॉबिंग की जाती है। हालांकि अमेरिकी चुनाव के लिए कोई विदेशी व्यक्ति चंदा नहीं दे सकता. कहा जाता है कि साल 2008 में अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट पर भारतीय बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए लॉबिंग के लिए 125 करोड़ रुपये तक खर्च किए थे. जिससे भारत की राजनीति में भूचाल आ गया था हालांकि वॉलमार्ट ने इस आरोप का खंडन किया था. दरअसल अमेरिका में राजनीतिक लॉबिंग एक व्यवसाय है और इसके जरिये सरकार की नीतियों पर असर डालने का काम भी किया जाता है. अमेरिका में लॉबिंग को कानूनी मान्यता है, इसपर होने वाला खर्च भी जायज माना जाता है. कंपनियों को लॉबिंग की पूरी जानकारी बकायदा सीनेट को देनी होती है. लेकिन भारत में लॉबिंग के लिए कोई कानून नहीं है इसलिये ये सब चुपके-चुपके होता है और ऐसे में होने वाली लेन-देन की गतिविधि घूस या रिश्वत कहलाती हैं.
2जी, पनामा पेपर लीक, पैराडाइज पेपर लील और पेंडोरा पेपर लीक में भी आ चुका है नाम पनामा पेपर लीक में भी आया था नाम नीरा राडिया का नाम
अप्रैल 2016 में सामने आए पनामा पेपर लीक में देश के लगभग 500 सेलिब्रिटीज़ के नाम सामने आए थे. रिपोर्ट के मुताबिक इन्होंने कथित तौर पर अपने पैसे पनामा में विदेशी इकाइयों में लगाए हुए थे. पनामा को टैक्स हैवन माना जाता है, जहां इन भारतीय सेलिब्रिटी और उद्योगपतियों ने पैसे लगाए हुए थे. इस सूची में नीरा राडिया का नाम भी शामिल है.
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक लीक हुए दस्तावेजों से इस बात का खुलासा हुआ कि राडिया ने खुद को ब्रिटिश नागरिक बताकर एक कंपनी बनाई थी. जांच में पता लगा कि साल 1994 में पनामा की लॉ फर्म और कॉरपोरेट सर्विस देने वाली कंपनी मोसेक फोंसेका (Mossack Fonseca) ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में नीरा राडिया की कंपनी को रजिस्टर करवाया था. जिसका नाम क्राउनमार्ट इंटरनेशनल ग्रुप लिमिटेड था. रिपोर्ट में दावा किया गया कि साल 2004 तक इस कंपनी से जुड़े दस्तावेजों पर राडिया के दस्तखत थे और उन दस्तावेजों में राडिया के दिल्ली स्थित घर का पता भी लिखा था.
पैराडाइज लीक और नीरा राडिया
पनामा पेपर लीक के करीब 18 महीने बाद नवंबर 2017 में पैराडाइज पेपर्स नाम से एक और वित्तीय डेटा सामने आया. इसमें फर्म और कंपनियों की जानकारी थी, जो दुनियाभर में अमीरों और कॉर्पोरेट कंपनियों का पैसा विदेशों में भेजने में मदद करते थे. लीक हुए 1.34 करोड़ दस्तावेजों में देश के तत्कालीन नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा, अमिताभ बच्चन, संजय दत्त की पत्नी मान्यता दत्त, लॉबिस्ट नीरा राडिया, फोर्टिस-एस्कॉर्ट्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ, विजय माल्या सहित 714 नाम शामिल थे.
अब नयति हेल्थकेयर कंपनी की चेयरपर्सन हैं राडिया पेंडोरा पेपर्स में भी था नीरा राडिया का नाम
इसी साल कुछ दिन पहले इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (ICIJ) के पेंडोरा पेपर्स (Pandora Papers) के खुलासे में भी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से लेकर अनिल अंबानी, जैकी श्रॉफ से लेकर नीरा राडिया तक कई भारतीयों के नाम सामने आए. पेंडोरा पेपर्स ने खुलासा किया कि कैसे दुनिया के धनवान और राजनेता अपनी संपत्ति छिपाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स हैवन ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में ऑफ शोर कंपनी बनाकर अमीर कारोबार कर रहे हैं. ऑफ शोर कंपनी का मतलब देश के बाहर बनाई गई कंपनी से है, जहां कमाई गई रकम पर स्थानीय सरकार को टैक्स नहीं दिया गया. पेंडोरा पेपर लीक दुनिया की14 फाइनैंस कंपनियों के करीब 1.19 करोड़ लीक दस्तावेजों पर आधारित है.
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