नई दिल्ली: आम जनता और छोटे सावधि जमाकर्ताओं को बेईमान निधि कंपनियों के हाथों ठगी से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने निधि कंपनियों के नियमों में संशोधन किया है जिसके अनुसार निधि कंपनियों को आम जनता से फंड स्वीकार करने से पहले कॉर्पोरेट मंत्रालय में NDH-4 फार्म भरना अनिवार्य कर दिया गया है. अप्रैल 20 को घोषित किए गए संशोधन को अगस्त 2019 से प्रभावी माना जाएगा क्योंकि सरकार ने पूर्वव्यापी प्रभाव से निधि नियम 2014 में संशोधन किया है. संशोधन के पश्चात निधि कंपनियों के रूप में कार्य करने की इच्छुक सार्वजनिक कंपनियों को कंपनी अधिनियम-1956 के तहत जमा स्वीकार करने से पहले केंद्र सरकार से पूर्व घोषणा प्राप्त करनी होगी. नोटिफिकेशन के अनुसार एक निधि या पारस्परिक लाभ सोसायटी का अर्थ एक ऐसी कंपनी है जिसे केंद्र सरकार ने निधि या म्यूचुअल बेनिफिट सोसाइटी के रूप में घोषित किया है. हालाँकि कंपनी अधिनियम-2013 के तहत शुरू में किसी कंपनी को निधि कंपनी के रूप में कार्य करने के लिए केंद्र सरकार से घोषणा प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं थी. अधिकारियों के अनुसार ऐसी कंपनियों को केवल निधि कंपनी के रूप में निगमित करने और निधि नियमावली के नियम 5 के उप-नियम (1) के तहत आवश्यकताओं को पूरा करने की आवश्यकता थी.
निधि नियम-2014 के तहत निधि नियमों के प्रारंभ होने के एक वर्ष के भीतर न्यूनतम 200 सदस्यता, निवल स्वामित्व निधि (एनओएफ) 10 लाख रुपये, एनओएफ जमा अनुपात 1:20 और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों या डाकघरों में 10% बिना भार वाली जमा राशि रखना आवश्यक है. संदिग्ध निधि कंपनियों की सदस्यता की पेशकश कर जमाकर्ताओं के साथ धोखाधड़ी और धोखाधड़ी की संभावना को देखते हुए सरकार ने एक समिति का गठन किया था जिसने कंपनी अधिनियम-2013 की धारा 406 में संशोधन की सिफारिश की है. जिसके अनुसार निधि कंपनियों को जमा स्वीकार करने से पहले केंद्र सरकार से एक घोषणा प्राप्त करना अनिवार्य होगा. संशोधनों के बाद निधि कंपनियों के रूप में निगमित कंपनियों को निगमन के 14 महीनों के भीतर घोषणा के लिए एक विशिष्ट फॉर्म, फॉर्म एनडीएच -4 में केंद्र सरकार को आवेदन करने की आवश्यकता है. यदि उन्होंन निधि (संशोधन) नियमों के बाद 15 अगस्त 2019 से शामिल किया गया था.