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खालिस्तान समर्थक समूहों की फंडिंग की जांच के लिए कनाडा पहुंची NIA - खालिस्तान समर्थक

एनआईए की टीम कनाडा में सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और अन्य खालिस्तान समर्थकों के लिए फंडिंग की जांच के लिए पहुंची है. किसान आंदोलन के दौरान भी फंडिंग की बात सामने आई थी. तीन सदस्यीय टीम विदेशों में विभिन्न संगठनों द्वारा वित्त पोषण के स्रोतों की जांच करेगी.

कनाडा पहुंची NIA
कनाडा पहुंची NIA

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Published : Nov 6, 2021, 6:14 PM IST

नई दिल्ली :राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की तीन सदस्यीय टीम 5 नवंबर को कनाडा में सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) और अन्य खालिस्तान समर्थकों के लिए फंडिंग मार्गो की जांच के लिए पहुंची है.

सूत्रों के अनुसार एक महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी के नेतृत्व वाली टीम एसएफजे (SFJ) और अन्य आतंकवादी संगठनों जैसे प्रतिबंधित संगठनों द्वारा भारत से बाहर खालिस्तान के निर्माण के लिए विदेशों में विभिन्न संगठनों द्वारा वित्त पोषण के स्रोतों की जांच करेगी.

जांच दल इन भारतीय विरोधी संगठनों के आतंकवादी संगठनों- एसएफजे और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान टाइगर फोर्स जैसे अन्य खालिस्तान समर्थक समूहों के फंडिंग लिंक के कनेक्शन की जांच करेगा, जो हाल के दिनों में सक्रिय हो गए हैं. सिख फॉर जस्टिस (SFJ) को पाकिस्तान की खुफिया शाखा इंटर स्टेट सर्विसेज (आईएसआई) का समर्थन प्राप्त है, जो भारत में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही है.

एसएफजे को भारत सरकार ने आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रतिबंधित कर दिया है. केंद्रीय जांच दल अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी सहित विभिन्न देशों से धन के स्रोत वाले खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों की भी जांच करेगा.

किसान आंदोलन में फंडिंग की बात सामने आई थी
जनवरी और फरवरी में दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के दौरान कुछ गैर सरकारी संगठनों जैसे 'खालसा एड' और अन्य ने वित्तीय रूप से मदद की थी और लंबे समय तक आंदोलन का समर्थन किया था. ये बात सामने आने पर सिखों के लिए न्याय जनमत संग्रह मामले में एनआईए ने पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू और खालिस्तानी हमदर्द बलदेव सिंह सिरसा सहित लगभग 40 लोगों को पूछताछ के लिए तलब किया था.

हाल ही में 1 नवंबर को एसएफजे ने भारत में खालिस्तान बनाने के लिए लंदन में एक जनमत संग्रह कराया था, जो भारत सरकार द्वारा की गई दंडात्मक कार्रवाई के कारण सिखों का समर्थन हासिल करने में बुरी तरह विफल रहा.

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(आईएएनएस)

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