नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को उन 12 आरोपियों के खिलाफ अपना पहला आरोपपत्र दायर किया, जिनके खालिस्तानी समर्थक संगठनों और पाकिस्तान स्थित साजिशकर्ताओं के साथ संबंध पाए गए थे.
एनआईए ने कहा कि आतंकी साजिश में उनकी भूमिका के लिए 10 अन्य व्यक्तियों की अभी भी जांच चल रही है, जिसमें कुछ नेताओं, गायकों और व्यापारियों को आतंकित करने, उनसे धन उगाहने और सनसनी पैदा करने की योजना शामिल थी.
एनआईए की जांच में आरोपी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) और इसके संचालक अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डाला, एक सूचीबद्ध 'व्यक्तिगत आतंकवादी' के साथ आरोपित आरोपियों के संबंधों का खुलासा हुआ है. ये पाकिस्तानी षड्यंत्रकारियों के अलावा, कनाडा और विदेशों में स्थित खालिस्तानियों से भी संपर्क में थे.
दिल्ली में दायर चार्जशीट गैंगस्टर-आतंकी नेटवर्क के साथ-साथ फंडिंग और सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित है. ये गिरोह टारगेट किलिंग को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे और और अन्य आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन भी जुटा रहे थे, जो देश के भीतर और बाहर दोनों से संचालित थे. आतंकवादियों, गैंगस्टरों, ड्रग तस्करों और उनके बीज नेटवर्क पाया गया है.
12 आरोपियों की पहचान अर्श डाला, सुखप्रीत बुद्धा, गौरव पटयाल, कौशल चौधरी, नवीन बाली, अमित डागर, छोटू भट, आसिफ खान, जग्गा तख्तमल, टिल्लू ताजपुरिया, भूपी राणा और संदीप बंदर के रूप में हुई है.
एक एनआईए अधिकारी ने कहा कि 'उनके खिलाफ चार्जशीट पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 91 स्थानों पर NIA द्वारा विभिन्न संगठित अपराध समर्थन नेटवर्क के लगभग 100 सदस्यों की 6 महीने की व्यापक तलाशी और पूछताछ के बाद दायर की गई है.
विभिन्न राज्यों के 25 जिलों में तलाशी ली गई. पंजाब में लुधियाना, जालंधर, मोहाली, मुक्तसर, मोगा, फिरोजपुर, भटिंडा, संगरूर, पटियाला, हरियाणा में गुरुग्राम, सिरसा, यमुनानगर, झज्जर, रोहतक, रेवाड़ी, दिल्ली में बाहरी उत्तर, उत्तर, रोहिणी, द्वारका, उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व; और उत्तर प्रदेश में बागपत, बुलंदशहर, पीलीभीत, गाजियाबाद में तलाशी ली गई.
उन्होंने बताया कि छापेमारी में भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई है. एनआईए ने गिरोह के सदस्यों को शरण देने और उनके लिए हथियार जमा करने के लिए हरियाणा और पंजाब में विभिन्न स्थानों पर बनाए गए केंद्रों का भी पता लगाया है.
इन छापों-तलाशी में लगभग 20 हथियार, 527 राउंड गोला बारूद, 195 डिजिटल उपकरण, 281 दस्तावेज आदि जब्त किए गए हैं. धारा 25 यूए(पी) अधिनियम के तहत तीन अचल संपत्तियों और तीन चल संपत्तियों को कुर्क/जब्त किया गया है.
जांच के दौरान पता चला कि अधिकांश आरोपी हाल तक रंगदारी के रैकेट में शामिल गिरोहों का संचालन कर रहे थे. शुरू में वे दूसरे राज्यों में अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने के लिए एक गैंगस्टर सिंडिकेट में बदल गए, लेकिन आतंकवादी तत्वों द्वारा संपर्क में आने के बाद जल्द ही एक घातक आपराधिक-आतंकवादी गठजोड़ में बदल गए. परिष्कृत हथियारों और सस्ते निशानेबाजों के एक बड़े पूल की उपलब्धता ने गैंगस्टरों के सिंडिकेट को आतंकवादी संगठनों के लिए एक आकर्षक विकल्प बना दिया.
इस मामले ने 1993 के मुंबई धमाकों के दौर की तर्ज पर संगीत उद्योग, गायकों, कबड्डी खिलाड़ियों और अधिवक्ताओं आदि के साथ गैंगस्टरों के संबंधों को भी प्रकाश में लाया है, जब अंडरवर्ल्ड के कारोबारियों और फिल्म उद्योग के साथ व्यापक संबंध सामने आए थे. यह भी पाया गया है कि जेलों में बंद कई गैंगस्टरों के परिवार के सदस्य सलाखों के पीछे से रंगदारी की गतिविधियों को अंजाम देने में उनकी मदद कर रहे हैं.
पढ़ें-NIA ने टेरर फंडिंग मामले में कश्मीरी पत्रकार इरफान महराज को किया गिरफ्तार