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एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद हुर्रियत नेता अयाज अकबर के घर को किया कुर्क

एनआईए के अधिकारियों ने एक कथित टेरर फंडिंग मामले में प्रमुख अलगाववादी नेता अयाज अकबर की श्रीनगर के बाहरी इलाके मलूरा शाल्टेंग इलाके में आवासीय संपत्ति को कुर्क करने की कार्रवाई की.

National Investigation Agency
राष्ट्रीय जांच एजेंसी

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Published : Jun 13, 2023, 3:15 PM IST

श्रीनगर: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा कथित टेरर फंडिंग मामले में कश्मीरी व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली की 17 संपत्तियों को कुर्क करने के एक दिन बाद ही, संघीय जांच एजेंसी ने मंगलवार को मामले में प्रमुख अलगाववादी नेता अयाज अकबर के श्रीनगर के बाहरी इलाके मलूरा शाल्टेंग इलाके में स्थित घर को कुर्क कर लिया. इस घटना की जानकारी सूत्रों ने दी. जानकारी सामने आई है कि एनआईए के अधिकारी अयाज के आवासीय घर पर पहुंचे और आवासीय संपत्ति को कुर्क कर लिया.

इस संबंध में एनआईए के अधिकारियों ने घर के मुख्य द्वार पर एक नोटिस भी चिपकाया था. नोटिस के मुताबिक, मौजा शाल्टेंग तहसील श्रीनगर (जे8के) में सर्वेक्षण संख्या, 31 के तहत 1 कनाल और 10 मरला की संपत्ति को विशेष एनआईए अदालत द्वारा आरसी-101 20177 एनआईए/डीएलआई में 31 मई, 2023 के न्यायालय के आदेश के तहत कुर्क किया गया है. अयाज अकबर को एनआईए इस मामले में पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.

हुर्रियत (गिलानी गुट) के वरिष्ठ नेता को एनआईए ने कथित आतंकवादी फंडिंग मामले में जुलाई 2018 में गिरफ्तार किया था. अयाज, शीर्ष हुर्रियत नेताओं के साथ नई दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. अयाज की पत्नी रफीका, जो दो साल से कैंसर से पीड़ित थी, उसका अप्रैल, 2021 के अंत में निधन हो गया था, जब अयाज जेल में था. अयाज के घर की कुर्की एनआईए द्वारा उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा इलाके में जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के फाइनेंसर जहूर अहमद शाह वटाली की 17 संपत्तियों को कुर्क करने के एक दिन बाद हुई है.

एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि संपत्तियों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) (यूएपीए) की धारा 33 (1) के तहत विशेष एनआईए कोर्ट, पटियाला हाउस के आदेश पर कुर्क किया गया था. एनआईए ने कहा कि ये प्रतिबंधित आतंकवादी समूह हुर्रियत कांफ्रेंस का इस्तेमाल कर रहे थे, जिसका गठन 1993 में कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने और समर्थन देने के लिए एक मोर्चे के रूप में किया गया था.

जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक फिलहाल इस मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. एनआईए के अनुसार, मामला जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंधित आईएसआई समर्थित संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और अन्य द्वारा संचालित आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित है. इसमें कहा गया है कि ये संगठन नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमलों को बढ़ावा देकर और उन्हें अंजाम देकर घाटी में आतंक फैला रहे थे और हिंसा कर रहे थे.

इसमें कहा गया है कि आरोपियों ने एक आपराधिक साजिश में प्रवेश किया था और कश्मीर घाटी में एक अशांत माहौल बनाने और हिंसा का सहारा लेने के लिए आम जनता को भड़काने की रणनीति अपनाई थी. एनआईए ने कहा कि वटाली भारत के संघ से जम्मू-कश्मीर के अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए हुर्रियत नेताओं को विभिन्न स्रोतों से जुटाई गई धनराशि भेज रहा था.

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