कुल्लू:हिमाचल प्रदेश कीजिला कुल्लू में बिजली उत्पादन के क्षेत्र में काम कर रही पार्वती परियोजना चरण 2 की हेडरेस टनल के दोनों छोर आखिरकार मिल गए. 24 साल के लंबे इंतजार के बाद 32 किलोमीटर हेडरेस टनल के दोनों छोर को आपस में जोड़ने से परियोजना के इंजीनियरों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. वही, यह हेडरेस टनल विश्व की सबसे लंबी टनल बताई जा रही है. जिसकी खुदाई टनल बोरिंग मशीन के माध्यम से की गई.
यह हेडरेस टनल 6 मीटर चौड़ी और 32 किलोमीटर लंबी है. ऐसे में अब इस हेडरेस टनल का बाकी बचा हुआ काम भी एक साल के भीतर पूरा कर लिया जाएगा. ताकि इस हेडरेस टनल के माध्यम से बरशेनी से पार्वती नदी का पानी सैंज घाटी के सिउंड तक पहुंचाया जा सके. जिससे यहां पर 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा.
1999 में अटल बिहारी ने रखी थी इस हेडरेस टनल की नींव 24 साल पहले मणिकर्ण घाटी के पूलगा से इस हेडरेस टनल टनल का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, लेकिन बीच में कई बाधाओं का भी परियोजना प्रबंधन को सामना करना पड़ा. जिसके चलते इसके निर्माण कार्य में भी काफी देरी हुई है. यहां पर टनल निर्माण के दौरान पहाड़ी से पानी आने के चलते भी करीब 4 सालों तक इसका निर्माण कार्य बंद रहा.
हेडरेस टनल से पार्वती नदी का पानी सैंज घाटी के सिउंड तक पहुंचेगा परियोजना के इंजीनियरों के लिए भी बर्फीली पहाड़ी के भीतर इस हेडरेस टनल के दोनों छोरो को एकदम सटीक में ले जाना कड़ी चुनौती था, लेकिन सभी कर्मचारियों की मेहनत के चलते अब इसे हासिल कर लिया गया है. बरशेनी की बर्फीली पहाड़ियों को खोद कर इस टनल के दोनों छोर को मिलाने का काम अब पूरा कर लिया गया है. दिसंबर 2024 में इसे पूरी तरह से चलाए जाने को लेकर सभी प्रक्रिया को पूरा किया जा रहा है.
वही, परियोजना प्रबंधन ने बताया कि टीबीएम के माध्यम से सबसे लंबी टनल की खुदाई का यह विश्व कीर्तिमान भी स्थापित हुआ है. हेडरेस टनल के दोनों छोर मिलने के बाद बरशेनी में 83.7 मीटर ऊंचे कंक्रीट ग्रेविटी बांध को तैयार किया जा रहा है. 130 मीटर ऊंची और 17 मीटर चौड़ी औरिफिस प्रकार की सर्ज शॉफ्ट का काम भी अंतिम पड़ाव पर है. इसके अलावा 3.5 मीटर चौड़ी लंबी प्रेशर सॉफ्ट भी बनाई गई है. 60 मीटर लंबे और साढ़े 5 मीटर चौड़ी 4 टेल रेस टनल को भी अंतिम स्वरूप दिया जा रहा है.
पार्वती परियोजना से देश के कई राज्य होंगे रोशन पार्वती परियोजना जिला कुल्लू के तीन इलाके पार्वती, गड़सा और सैंज में स्थित है. यह हिमाचल की सबसे बड़ी परियोजना है. इस परियोजना निर्माण पर 10 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत का अनुमान है. जिसे 2 चरणों में पूरा किया जाना है. पार्वती परियोजना के पहले चरण में अभी 800 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. वही, सबसे पहले पार्वती परियोजना के एक चरण का कार्य पूरा हो चुका है और यहां पर 800 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जा रहा है. वहीं अब हेडरेस टनल का कार्य पूरा होने के बाद दूसरे चरण का कार्य भी पूरा हो जाएगा. यहां पर 1500 मेगावाट से अधिक की बिजली का उत्पादन होगा. जिससे देश के कई राज्यों को बिजली मिलेगी.
गौर है कि पार्वती जल विद्युत परियोजना द्वारा मणिकर्ण घाटी के पुलगा से पार्वती नदी का पानी हेडरेस टनल के माध्यम से सैंज घाटी के सिउंड में पहुंचाया जाएगा. सिउंड में पार्वती परियोजना का विद्युत उत्पादन एरिया बनाया गया है. जहां पर पार्वती नदी का पानी पहुंचने से विद्युत उत्पादन का कार्य 1500 मेगा वाट पहुंच जाएगा. 1500 मेगावाट बिजली का उत्पादन होने से देश के राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा सहित कई अन्य राज्यों को भी बिजली मिलेगी.
पार्वती परियोजना के तहत होगा बिजली उत्पादन एनएचपीसी (नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विश्वजीत बसु ने बताया कि पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण दो एक रन ऑफ द रिवर परियोजना है. पार्वती नदी के निचले हिस्सों में जल संभाव्यता के दोहन के लिए प्रस्तावित है. पुलगा गांव के समीप कंक्रीट ग्रेविटी बांध से 32 किलोमीटर लंबी सुरंग के भीतर पानी को गुजर जाएगा और इसे सैंज के सिउंड के समीप पावर हाउस में गिराया जाएगा. पुलगां और सिउंड के बीच 863 मीटर के हेड का उपयोग 800 मेगावाट विद्युत के उत्पादन के लिए किया जाएगा.
इस टनल के पूरा होने से 800 मेगावाट बिजली उत्पादन होगा वहीं, एनएचसी के निदेशक निर्मल सिंह ने बताया कि परियोजना में एक सरफेस पावर हाउस जिसमें 200-200 मेगावाट के चार पेलटन टरबाइन उत्पादन इकाई स्थापित की गई है. इसके अलावा 400 केवी के दो आउटगोइंग फीडर के साथ 400 केवी जीआईएम सतह स्विच यार्ड है. ऐसे में दिसंबर 2024 में पार्वती परियोजना के सभी चरण विद्युत उत्पादन के कार्य में जुट जाएंगे.
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