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गंगा में स्नान तो दूर आचमन तक मुश्किल.. NGT ने बिहार के 38 जिलों के DM से मांगी रिपोर्ट

बिहार में आज से ठीक दो महीने के बाद छह महापर्व की शुरुआत होगी. हर साल की तरह इस साल भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाएंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज गंगा में स्नान तो दूर आचमन तक मुश्किल है. दरअसल, एनजीटी (National Green Tribunal) ने दूषित होगी गंगा पर बिहार के 38 जिलाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है. पढ़ें पूरी खबर

River Ganga Pollution Etv Bharat
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 20, 2023, 7:14 PM IST

Updated : Sep 20, 2023, 8:21 PM IST

पटना:आज गंगा नदी के पानी को पीना तो दूर, उससे नहाना भी मुश्किल हो रहा है. नमामि गंगे प्रोजेक्ट के नाम पर हर साल करोड़ों खर्च हो रहे है, लेकिन गंगा को निर्मल बनाए रखना संभव नहीं हो रहा है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने बिहार के 38 जिलाधिकारी को गंगा में प्रदूषण को लेकर रिपोर्ट मांगी है.

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गंगा में प्रदूषण को लेकर एनजीटी का एक्शन : एनजीटी ने सभी 38 जिलों के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि अपने जिले में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर अब तक क्या कदम उठाए, इस संबंध में रिपोर्ट सौंपे. एनजीटी में आठ हफ्ते में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए. एनजीटी ने झारखंड के चार जिलाधिकारी को भी यह निर्देश जारी किया है. बता दें कि एनजीटी नदियों में प्रदूषण की रोकथाम से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रहा है. जिन जिलों को निर्देश जारी किया गया है, वहां से गंगा और उसकी सहायक नदियां गुजरती हैं.

क्या था NGT का आदेश :एनजीटी (National Green Tribunal) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने पिछले दिनों (28 अगस्त) अपने आदेश में कहा था कि गंगा और उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण की रोकथाम का मुद्दा हर राज्य, जिले और शहर में उठाया जाय.

गंगा में प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाएं? :इसके बाद एनजीटी ने 18 सितंबर को जारी एक और आदेश में कहा कि बिहार की नदियों में घरेलू अपशिष्ट, मल, भूजल प्रदूषण, बालू खनन, डूब इलाकों में अतिक्रमण, नदि की धारा में परिवर्तन से संबंधित तमाम ऐसे मुद्दे है, जिसपर बिहार के 38 और झारखंड के 4 जिलाधिकारी अपनी रिपोर्ट दें. साथ ही, अपने-अपने क्षेत्र में जिला गंगा संरक्षण समिति की ओर से प्रदूषण की रोकथाम के लिए किए गए कार्यों की जानकारी उपलब्ध कराएं.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट ने डराया : बता दें कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पिछले दिनों (मार्च 2023) देश के 94 जगहों से गंगा जल का सैंपल लिया था. गंगा जल की जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए. रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ जगहों पर गंगा जल में टीसी यानी टोटल कोलीफॉर्म जीवाणुओं की संख्या 33 हजार के पार थी, जबकि यह अधिकतम 5 हजार (प्रति सौ मिलीग्राम) होनी चाहिए थी. हालांकि देश के चार जगहों से राहत भरी रिपोर्ट सामने आई. जिनमें कटिहार (बिहार), राजमहल, साहेबगंज (झारखंड) और ऋषिकेश (उत्तराखंड) शामिल है, इन चार जगहों को ग्रीम कैटेगरी में रखा गया, यानी इन जगहों के गंगाजल को छान कर पीने के लिए इस्तेमाल कर सकते है. बाकी जगहों को रेड जोन में रखा गया.

क्यों प्रदूषित हो रहा है गंगाजल? : केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, बिहार में 33 जगह गंगा जल की शुद्धता की जांच की गई. जिसके बाद रिपोर्ट में पाया गया कि नदी का पानी न पीने लायक है और न नहाने लायक. इतना ही नहीं, बोर्ड के अनुसार साल 2021 में पटना के कुछ घाटों पर खतरनाक जीवाणु पाए गए थे. वजह शहर का सीवेज का गंगा नदी में सीधे प्रवाहित किया जाना. बता दें कि बिहार में गंगा नदी का प्रवाह 445 किलोमीटर का है.

Last Updated : Sep 20, 2023, 8:21 PM IST

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