नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने व्यावसायिक उद्देश्यों के वास्ते भूजल का अवैध दोहन रोकने में समन्वय की कमी को लेकर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) एवं विभिन्न अधिकारियों को फटकार लगाई है. एनजीटी उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया है कि 'टैंकर माफिया' जैसे अनधिकृत ऑपरेटर बोरवेल के माध्यम से अवैध रूप से भूजल निकालते हैं, जिसे बाद में रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) संयंत्रों के माध्यम से फ़िल्टर किया जाता है और वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में इन अवैध ऑपरेटर के पास केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) की ओर से जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं है. अधिकरण ने जुलाई में पारित एक आदेश में संबंधित अधिकारियों को 'त्वरित दंडात्मक कार्रवाई' करने और अवैध बोरवेल को तुरंत सील करने के अलावा, 'अनधिकृत ऑपरेटर और टैंकर माफियाओं' द्वारा भूजल का अवैध दोहन रोकने के लिए एक प्रभावी तंत्र विकसित करने’ का निर्देश दिया था.