नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने शनिवार को नागालैंड पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन का प्रबंधन नहीं करने के लिए 200 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया. जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि सीवेज उत्पादन और उपचार में अंतर और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में अंतर के बारे में बयान पर विचार करते हुए, "कानून के जनादेश विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय और इस न्यायाधिकरण के निर्णयों के उल्लंघन में वैज्ञानिक रूप से तरल और ठोस कचरे के प्रबंधन में अपनी विफलता के लिए प्रदूषक भुगतान सिद्धांत पर राज्य पर 200 करोड़ रुपये का मुआवजा लगाया जाता है."
पीठ ने यह भी कहा, "उक्त टिप्पणियों के आलोक में केवल राज्य में अपशिष्ट प्रबंधन के लिए मुख्य सचिव के निर्देशों के अनुसार संचालित होने के लिए राशि को रिंग-फेंस खाते में रखा जा सकता है. ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना, पुराने कचरे के उपचार और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) और एफएसएसटीपी की स्थापना के लिए 200 करोड़ रुपये का उपयोग किया जाना चाहिए ताकि कोई अंतर न रहे.