नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सोमवार को खराब श्रेणी हवा की गुणवत्ता वाले शहरों में 10 से 30 नवंबर के बीच सभी तरह के पटाखों के उपयोग या बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध का हवाला दिया. पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि राष्ट्र पहले से ही कोरोना वायरस महामारी के स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कर रहा है. त्योहारों पर पटाखे फोड़ने से स्थिति और खराब हो सकती है.
एनजीटी के आदेश पर पर्यावरण विशेषज्ञ विमलेन्दु झा ने कहा कि हम मुसीबत के समय में जी रहे हैं. हम स्वास्थ्य आपातकाल में हैं. हमें स्वच्छ हवा के बारे में सोचना होगा. दुर्भाग्य से, पटाखों से हवा को और नुकसान होगा. हम सभी को यह समझने की आवश्यकता है कि उत्तर भारत का वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब है. दिल्ली के कई क्षेत्रों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगभग 700 है. कोविड संकट को देखते हुए हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने उन क्षेत्रों में 'ग्रीन पटाखे' की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी, जहां हवा की गुणवत्ता मध्यम या उससे नीचे की श्रेणी में हैं. एनजीटी के आदेश में यह भी नोट है कि ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, दिल्ली और चंडीगढ़ में पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया गया था.
पर्यावरणविद ने कहा कि कोविड और वायु प्रदूषण के लिए हमें सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए. पटाखे बेहद प्रदूषणकारी हैं. हमने पिछले कुछ वर्षों में देखा है कि दीपावली के कुछ दिनों बाद प्रदूषण का स्तर लगभग 20-25% बढ़ जाता है. ट्रिब्यूनल ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण समितियों सहित विभिन्न प्राधिकरणों को भी निर्देश दिया कि वे विभिन्न स्रोतों से वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अभियान शुरू करें.