भोपाल : बहुचर्चित घटनाक्रम के दौरान पाकिस्तान से वर्ष 2015 में भारत लौटी गीता को समाज की मुख्य धारा में लाने के प्रयास कर रहे एक गैर सरकारी संगठन ने सोमवार को सुझाया कि इस मूक-बधिर महिला को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासकीय नौकरी दी जानी चाहिए.
अधिकारियों के मुताबिक मध्यप्रदेश के सामाजिक न्याय एवं नि:शक्त जन कल्याण विभाग ने दिव्यांगों की मदद के लिए इंदौर में चलाई जा रही आनंद सर्विस सोसायटी को गीता की देख-रेख और उसके बिछड़े परिवार की खोज का जिम्मा सौंपा है.
संगठन के सांकेतिक भाषा विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र पुरोहित ने मीडिया को बताया कि इन दिनों गीता महाराष्ट्र्र के परभणी की गैर सरकारी संस्था पहल फाउंडेशन के परिसर में रहकर कौशल विकास का प्रशिक्षण ले रही है.
उन्होंने कहा, 'भारत वापसी के बाद गीता कक्षा पांच की परीक्षा उत्तीर्ण कर चुकी है और ओपन स्कूल के जरिये आठवीं की परीक्षा में बैठने की तैयारी कर रही है. केंद्र या महाराष्ट्र सरकार को उसे उसकी योग्यता के मुताबिक नौकरी देनी चाहिए ताकि वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सके और उसका भविष्य सुरक्षित हो सके.'
गौरतलब है कि गीता का मामला हाल ही में भारत और पाकिस्तान के मीडिया की सुर्खियों में लौटा, जब महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहने वाली मीना (71) ने दावा किया कि गीता उनकी वह बेटी है, जो उनके पहले विवाह से पैदा हुई थी. मीना के पहले पति की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है और अब वह अपने दूसरे पति के साथ रहती हैं.