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चीन से लगी सीमा पर बसे गांवों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा भारत

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने संसद में बजट भाषण के दौरान नई वाइब्रेंट विलेज योजना (new vibrant village scheme) की घोषणा की. इसके तहत उत्तरी सीमा पर से लगे हुए गांवों का विकास किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य को फायदा मिलने की उम्मीद है. चीन की सीमा उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिलों से लगती है.

new vibrant village scheme
नई वाइब्रेंट विलेज योजना

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Published : Feb 2, 2022, 3:06 AM IST

नई दिल्ली/ देहरादून : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को आम बजट में चीन से लगी सीमा पर गांवों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की योजना की घोषणा की. यह कदम पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी गतिरोध और चीन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के करीब कई क्षेत्रों में गांव बसाने को लेकर सुरक्षा प्रतिष्ठानों में व्याप्त चिंताओं की पृष्ठभूमि में उठाया गया है.

सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा, 'सीमावर्ती गांव विरल आबादी, सीमित संपर्क और बुनियादी ढांचे के अभाव में अक्सर विकास के लाभ से वंचित रह जाते हैं. उत्तरी सीमा पर ऐसे गांवों को नई वाइब्रेंट विलेज योजना (new vibrant village scheme) के तहत कवर किया जाएगा.'

उन्होंने कहा, 'इन गतिविधियों में गांव के बुनियादी ढांचे का निर्माण, आवास, पर्यटन केंद्र, सड़क संपर्क, विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा का प्रावधान, दूरदर्शन और शैक्षिक चैनलों की सीधे घर-घर तक पहुंच और आजीविका सृजन के लिए समर्थन देना शामिल होगा.' वित्त मंत्री ने कहा कि इन गतिविधियों के लिए अतिरिक्त धन मुहैया कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा योजनाओं को एक साथ लाया जाएगा. हम उनके परिणामों को परिभाषित करेंगे और निरंतर उनकी निगरानी करेंगे.

हालांकि, नई वाइब्रेंट विलेज योजना के लिए कितना बजट रखा गया है, अभी इसका फिगर सामने नहीं आया है, लेकिन इस प्रोजेक्ट से उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य को बड़ा फायदा होने जा रहा है. विधानसभा चुनाव के लिहाज से इस बजट में उत्तराखंड के लिए ये बड़ी घोषणा है. शायद उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी इस घोषणा को भुनाने की पूरी कोशिश भी करे.

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बता दें कि उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा नेपाल और चीन से लगती है. उत्तराखंड के उधमसिंह नगर, चंपावत और पिथौरागढ़ जिलों की सीमाएं सीधे नेपाल की सीमा से लगाती हैं. वहीं चीन की सीमा उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिलों से लगती है. खासकर चीन सीमा पर बसे उत्तराखंड के अधिकांश गांवों में सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. सीमांत गांव लगातार खाली हो रहे हैं. कई गांवों को भूतिया भी घोषित किया जा चुका है.

उत्तराखंड सरकार ने भी इंटरनेशनल बॉर्डर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत चीन से सटे 11 ब्लाकों में 100 गांवों को चिन्हित किया था. ताकि यहां से होने वाले पलायन को रोका जा सके और इसके लिए यहां पर युवाओं को रोजगार के अवसर, खेतीबाड़ी, बागवानी, मधुमक्खी पालन, मछली पालन, दुग्ध उत्पादन आदि कार्यों पर फोकस किया था.

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यदि केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना परवान चढ़ती है तो ये उत्तराखंड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी. क्योंकि इससे न सिर्फ चीन और नेपाल से लगे सीमांत इलाकों का विकास होगा, बल्कि पलायन की समस्या भी काफी हद तक दूर होगी. उत्तराखंड के सीमांत गांव आज भी नेटवर्क, बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. वहीं भारत की सीमाएं भी सुरक्षित होंगी.

उत्तराखंड के सीमांत जिले और गांव
पिथौरागढ़ जिले की सीमा चीन और नेपाल दोनों से लगती है. यहां व्यास, दारमा और चौदास घाटी के दर्जनों गांव चीन सीमा के नजदीक हैं. वहीं उत्तरकाशी जिले की माखुवा, धराली, हर्षिल और बगोरी घाटी चीन सीमा के नजदीक है. इसके अलावा चमोली जिले की नीती घाटी में बसे कई गांव चाइन बॉर्डर से काफी नजदीक हैं.

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