हैदराबाद : कोविड संकट की वजह पिछले साल बड़ी संख्या में कंपनियां बंद हो गईं. करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए. कुछ लोगों ने वर्क फ्रॉम होम के जरिए अपनी नौकरी बचाई. कोरोना और उसके बाद लॉकडाउन की वजह से उपजे हालात के कारण पूरी दुनिया के करीब 25 फीसदी वर्कफोर्स (श्रमिकों) को अब दूसरे व्यवसाय की तलाश करनी होगी.
हालांकि, इस आपदा में कुछ अवसर भी सामने आए. नई परिस्थितियां पैदा हुईं. नए सेक्टर उभरकर सामने आए. नई तकनीक पर जोर दिया जाने लगा. इनमें ऑटोमेशन, डिजिटल तकनीक, डेटा सिक्योरिटी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस वगैरह प्रमुख क्षेत्र हैं. आने वाले समय में आपकी दक्षता ही आपके रोजगार को सुरक्षित कर पाएगी. नई औद्योगिक दक्षता के साथ-साथ कोर बिजनेस योग्यता होगी, तभी आप बाजार में टिक पाएंगे. लॉकडाउन के दौरान हमलोगों ने जिस तरीके से काम किया, जिन तकनीक को अपना आधार बनाया, भविष्य में भी वे जारी रहेंगे.
इस महामारी के दौर में पूरी दुनिया में वर्क फ्रॉम होम, ई कॉमर्स, वर्चुअल मीटिंग, ऑनलाइन क्लास, ऑटोमेशन जैसे नए ट्रेंड उभरकर सामने आए. अब तो बहुत सारी कंपनियां इसी मोड में काम करने की नीति बना रहीं हैं. कुछ को वर्क फ्रॉम होम और कुछ को कार्य स्थल पर काम देने की नीति अपनाई जा रही है. इससे कंपनियों का खर्चा भी कम हो रहा है. उनकी कुल उत्पादकता बढ़ रही है. छोटी टीम के साथ काम करना पड़ता है. नई प्रतिभाओं को मौका मिल रहा है. कंपनियों के पास विकल्प बढ़ गए हैं. नेचर मैगजीन के एक नए सर्वे में बताया गया है कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों ने कोविड संकट के बावजूद वर्चुअल बैठककर अपना काम जारी रखा.
मैकेंसी की 'द फ्यूचर ऑफ वर्क आफ्टर कोविड' रिपोर्ट के अनुसार चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, जापान, स्पेन, यूके और अमेरिका में करीब 10 करोड़ लोगों को 2030 तक नए रोजगार तलाशने होंगे. इन आठ देशों की आबादी पूरी दुनिया की आधी आबादी है. जीडीपी 62 फीसदी है. भारत की बात करें, तो 1.8 करोड़ लोगों को नई नौकरी तलाशनी होगी.
मैकेंजी ने अगस्त 2020 में 278 एक्जक्यूटिवों का एक सर्वे किया था. उसके अनुसार कंपनियां 30 फीसदी ऑफिस स्पेस कम करने पर तैयार हो गईं. जाहिर है, ऐसे में रेस्तरां और सार्वजनिक परिवहन की डिमांड कम होगी. मैंकेंजी के अनुसार 20 फीसदी बिजनेस ट्रेवेल वापस नहीं लौटेंगे. इसकी वजह से एरोस्पेस में रोजगार प्रभावित होंगे. एयरपोर्ट, हॉस्पिटेलिटी और फूड सर्विसेस भी प्रभावित हुए. हालांकि, इसी दौरान वर्चुअल ट्रांजेक्शन, टेलीमेडिसीन, ऑनलाइन बैंकिंग, एंटरटेनमेंट स्ट्रीमिंग के कारोबार बढ़े. अप्रैल और नवंबर 2020 के बीच टेली-हेल्थ कंपनी प्रैक्टो का कारोबार 10 गुना से अधिक बढ़ा.
2025 तक मानव और मशीन के बीच कारोबार का और अधिक वर्गीकरण होगा. वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की 2020 की रिपोर्ट के अनुसार मानव और मशीन के बीच श्रम बंटवारे के कारण 8.5 करोड़ रोजगार विस्थापित होंगे. रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्केटिंग, सेल्स और प्रोडक्शन में मानव की भूमिका बनी रहेगी.
साईओ मैगजीन के मुताबिक सुरक्षाकर्मियों, क्लाउड आर्किटेक्ट, डेटाबेस प्रशासक, प्रोग्रामर एनालिस्ट, सिस्टम एनालिस्ट, मोबाइल एप्लीकेशन्स डेवलपर, नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर, सॉफ्टवेयर डेवलपर की तेजी से मांग बढ़ने वाली है. गार्टनर सर्वे ने 800 एचआर प्रबंधकों से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की. इसके अनुसार 32 फीसदी संस्थान खर्चा कम करने के लिए फुल टाइम एंप्लॉयज को आकस्मिक एंप्लॉय से रिप्लेस करने जा रहे हैं. इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि 48 फीसदी एप्लॉयज कार्यस्थल पर काम नहीं करेंगे.
एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू के अनुसार बिजनेस में मानव का मानव से इंटरेक्शन होने पर स्वास्थ्य प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया है. ऐसे में प्राथमिकता ये है कि तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जाए. रिपोर्ट के अनुसार पांच करोड़ रोजगार को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से मदद मिल सकती है. मैकेंजी के मुताबिक कंपनियां डिजिटल वर्कर्स पर ज्यादा खर्च कर रहीं हैं. उन्हें बड़ी संख्या में हायर किया जाएगा. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस सॉफ्टवेयर प्रोग्राम की डिमांड बढ्ने जा रही है.