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ताइवान से ऑपरेट हो रहा क्रिप्टो के जरिए ठगी का नेटवर्क, हॉन्गकॉन्ग, चीन और कम्बोडिया डोमेन का हो रहा इस्तेमाल - Jharkhand news

क्रिप्टो करेंसी के नाम पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी का काम चल रहा है. झारखंड सीआईडी की जांच में ये सामने आया है कि क्रिप्टो करंसी से ठगी का धंधा ताइवान से चल रहा है. Network of fraud through crypto operating from Taiwan.

fraud through crypto operating from Taiwan
fraud through crypto operating from Taiwan

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 9, 2023, 4:07 PM IST

रांची:क्रिप्टो करेंसी के नाम पर रातों रात अमीर बनाने का सपना दिखाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी का नेटवर्क चल रहा है. झारखंड सीआईडी के साइबर क्राइम ब्रांच की जांच में इसका खुलासा हुआ है. रांची में क्रिप्टो करेंसी के नाम पर एक व्यक्ति से 95 लाख रुपए की ठगी की गई थी, इस मामले में मुख्य आरोपी जीवन गोपीनाथ गलधर को गिरफ्तार किया गया है. गोपीनाथ के गिरफ्तारी के बाद क्रिप्टो करेंसी के नाम पर चल रहे ठगी के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ है.

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लुक आउट नोटिस जारी था आरोपी के खिलाफ:सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि क्रिप्टो करेंसी के जरिए झारखंड के एक व्यक्ति से 95 लाख रुपए की ठगी कर ली गई थी, मामला सामने आने के बाद महाराष्ट्र से दो आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए, उस समय सीआईडी की साइबर क्राइम ब्रांच के द्वारा 63 लाख रुपए फ्रिज करवा दिए गए थे. जांच क्रम में इस बात का भी खुलासा हुआ कि क्रिप्टो के जरिए ठगी का धंधा ताइवान से किया जा रहा है. महाराष्ट्र का रहने वाला गोपीनाथ चीन के कुछ हैकरों के साथ मिलकर ठगी को अंजाम दे रहा है. गोपीनाथ की गिरफ्तारी के लिए देशभर में लुक आउट नोटिस भी जारी किया गया था. इसी दौरान ताइवान से मुंबई लौट के दौरान गोपीनाथ को मुंबई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया.

ताइवान की मुद्रा बरामद:गिरफ्तार गोपीनाथ के पास से बैंक ऑफ ताइवान का एटीएम और डेबिट कार्ड, कई मोबाइल, आधार कार्ड पैन कार्ड, क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ 33000 ताइवान डॉलर और 48000 इंडियन करेंसी बरामद किया गया है.

जीवनसाथी.कॉम के जरिए की ठगी:सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि जीवनसाथी.कॉम पर उपलब्ध प्रोफाइल के माध्यम से साइबर अपराधियों ने धनबाद के एक व्यक्ति से फिशिंग वेबसाइट www.banocoin.org पर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के बहाने 95 लाख रुपए की ठगी की थी. ठगी के बाद सीआईडी ​​रांची में आईटी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया. जांच के दौरान सभी फर्जी वेबसाइटों का मूल स्थान हांगकांग, चीन और कंबोडिया में पाया गया. मनी ट्रेल से यह जानकारी हासिल हुई कि ठगी के पैसे महाराष्ट्र, यूपी और दिल्ली के कुछ इंडियन बैंक खातों में भी भेजे गए. जिसके बाद सीआईडी ​​झारखंड ने आई4सी, गृह मंत्रालय की मदद से एसपी महाराष्ट्र साइबर संजय शिंत्रे की मदद मांगी. महाराष्ट्र पुलिस ने ठगी के इस मामले में पूरी मदद की जिसके कारण मामले का खुलासा हुआ और आरोपियों की गिरफ्तारी हुई.

22 बैंको के खातों के प्रयोग:जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि ठगी के पैसे 22 बैंक खातों के जरिए ठगों ने ट्रांसफर किए थे. 22 में से अधिकांश बैंक खाते विदेशों में है. ठगी के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप वर्चुअल नंबर के द्वारा बनाया गया था. इसके बाद ग्रुप के माध्यम से पीड़ित को जोड़ा गया, जोड़ने के बाद निवेशक को निवेश में डबल और ट्रिपल मुनाफा का आश्वासन दिया गया था. पैसे के निवेश के लिए चाइनीज एप नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया था, साथ ही एप वास्तविक नजर आए इसके लिए एक फेक वेब पेज भी बनाया गया. लेकिन जैसे ही पैसे की ठगी हुई वेबसाइट भी बंद हो गया और व्हाट्सएप खाता भी.

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