नई दिल्ली :विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को अपने नेपाली समकक्ष प्रदीप कुमार ग्यावली के साथ बैठक की जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयामों पर चर्चा की. अधिकारियों ने बताया कि यह वार्ता भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक (जेसीएम) के ढांचे के तहत हो रही है.
चीन से चल रही भारत की तनातनी के बीच विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि नेपाल ने हमेशा पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध रखे हैं. हम कभी भी अपने दोस्तों के साथ अपने संबंधों की तुलना नहीं करते. हमने सुनिश्चित किया है कि किसी भी पड़ोसी देश के नाजायज हितों के लिए अपनी मिट्टी का दुरुपयोग नहीं होने देंगे.
साथ ही ये भी कहा कि 'नेपाल अपने आप को एक अवसर के रूप में देखता है क्योंकि दुनिया के दो सबसे बड़े बाजार के बीच स्थित है. यह हमें हमारे पड़ोसी देशों की ओर से आर्थिक विकास से लाभान्वित करता है.'
तीन दिन की यात्रा पर आए हैं ग्यावली
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली गुरुवार को तीन दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचे. ग्यावली 14-16 जनवरी तक भारत की यात्रा पर रहेंगे. सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के रिश्तों में खटास आने के बाद नेपाल के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा था कि हम विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर रचनात्मक वार्ता को लेकर आशान्वित हैं.
प्रवक्ता ने कहा था कि संयुक्त आयोग महत्वपूर्ण तंत्र होता है जो उच्च स्तरीय चर्चा का अवसर प्रदान करता है. इसमें द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर चर्चा के साथ दोनों देशों के अनोखे संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के संबंध में राजनीतिक मार्गदर्शन मिलता है.
बहरहाल, एक सवाल के जवाब में श्रीवास्तव ने कहा था कि सीमा मुद्दे पर भारत का रूख स्पष्ट है और संयुक्त आयोग और सीमा मुद्दे से जुड़ा तंत्र अलग अलग है. नेपाल सरकार द्वारा पिछले साल विवादित नया नक्शा प्रकाशित किए जाने के कारण उभरे सीमा विवाद के बाद इस देश के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा है.
इस विवादित नक्शे में भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया था. नेपाल के इस कदम पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और उसके दावे को खारिज किया था.
नेपाल सरकार द्वारा पिछले साल विवादित नया नक्शा प्रकाशित किए जाने के कारण उभरे सीमा विवाद के बाद इस देश के किसी वरिष्ठ नेता की यह पहली भारत यात्रा है. इस विवादित नक्शे में भारतीय क्षेत्र लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को नेपाल का हिस्सा दर्शाया गया था. नेपाल के इस कदम पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी और उसके दावे को खारिज किया था.
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बहरहाल, नेपाल में संसद भंग किए जाने और चुनाव कराने के फैसले एवं चीन के हस्तक्षेप के बारे में एक सवाल के जवाब में भारत में विदेश मंत्रालय ने सतर्क प्रतिक्रिया देते हुए हाल में कहा था कि वह पड़ोसी देश और वहां के लोगों का शांति, समृद्धि और विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने में समर्थन करना जारी रखेगा.