नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद युवा डॉक्टरों को राहत मिली है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बुधवार को बताया कि विद्यार्थियों के हितों को ध्यान में रखते हुए, यह तय किया गया है कि नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा के पैटर्न में किए गए बदलाव अकादमिक सत्र 2022-23 से लागू किए जाएंगे. बता दें कि न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न की पीठ ने मंगलवार को सख्त टिप्पणी की थी और कहा था कि चिकित्सा पेशा और शिक्षा कारोबार बन गया है और अब चिकित्सा शिक्षा का नियमन इस स्तर पर पहुंच गया है कि देश के लिए त्रासदी बन गया है.
बुधवार को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एश्वर्या भाटी की दलीलों को रिकॉर्ड में रखा और उन विद्यार्थियों की याचिकाओं का निपटान किया, जिन्होंने इस वर्ष से नीट-सुपर स्पेशियलिटी के परीक्षा पैटर्न में बदलावों को लागू करने के केंद्र के पहले के फैसले को चुनौती दी थी. इस पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि परीक्षा के पैटर्न में किए गए बदलावों की वैधता के सवाल पर वह कुछ नहीं कह रही है.
एश्वर्या भाटी ने कहा, 'छात्रों के हित में, जिन्होंने पुरानी व्यवस्था के अनुसार तैयारी की है, सरकार ने दो विशेषज्ञ इकाइयों (राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग) और राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के साथ विमर्श कर निर्णय किया है कि नीट-सुपरस्पेशलिटी की संशोधित योजना 2022 से क्रियान्वित की जाएगी.'
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान भाटी ने कहा कि वह शीर्ष अदालत द्वारा मंगलवार को व्यक्त की गई आशंका को दूर करना चाहती हैं. पीठ ने इस पर भाटी से कहा कि वह यह मुद्दा उस पर छोड़ दें. भाटी ने कहा कि अधिकारियों को नवंबर में होने वाली परीक्षा को कुछ महीने के लिए टालने की जरूरत हो सकती है क्योंकि अब समूची प्रक्रिया को बदले जाने की आवश्यकता है.
पीठ ने कहा कि सरकार ने बहुत अच्छी तरह काम किया है और परीक्षा कब कराई जाए, यह अधिकारियों पर निर्भर है, लेकिन निश्चित तौर पर इस साल.
इससे पहले मंगलवार को, शीर्ष अदालत ने केंद्र को 'अपने तरीके में सुधार' लाने का और नीट-सुपर स्पेशियलिटी परीक्षा 2021 में किए गए बदलावों को वापस लेने पर निर्णय लेने का केंद्र को एक आखिरी मौका दिया था.