नई दिल्ली :सरकार 10 देशों के समूह आसियान के साथ अपने व्यापार समझौते की समीक्षा करते समय सिंगापुर तथा थाईलैंड के सााथ द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते पर भी गौर करे. शोध संस्थान जीटीआरआई ने रविवार को यह सुझाव दिया है. सिंगापुर 10 देशों वाले आसियान गुट का सदस्य है जिसके साथ भारत का 2010 से माल को लेकर मुक्त व्यापार समझौता है. वहीं भारत ने 2005 में सिंगापुर के साथ एक व्यापक मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) भी किया था.
2025 तक इस अभ्यास को पूरा करने का लक्ष्य
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) के एक अन्य सदस्य थाईलैंड के साथ भी इसी तरह के अभ्यास का सुझाव दिया है. भारत ने 2006 में थाईलैंड के साथ एक सीमित मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. ये सुझाव महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत और आसियान देश अपने व्यापार समझौते की समीक्षा करने पर सहमत हुए हैं. 2025 तक इस अभ्यास को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
आसियान देशों में शामिल देश
आसियान देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलिपीन और वियतनाम शामिल हैं. इनमें से भारत पांच देश इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम साथ 92.7 प्रतिशत निर्यात और 97.4 प्रतिशत आयात करता है. वित्त वर्ष 2008-09 में आसियान को भारत का निर्यात 19.1 अरब अमेरिकी डॉलर था और 2022-23 में यह बढ़कर 44 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. दूसरी ओर, 10 देशों के समूह से आयात पिछले वित्त वर्ष में बढ़कर 87.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2008-09 में 26.2 अरब अमेरिकी डॉलर था.
एफटीए का एक साथ अध्ययन किया जा सकता
जीटीआरआई ने कहा कि भारत का सिंगापुर के साथ एक अलग एफटीए है जिसमें उत्पादों की उत्पत्ति के नियमों में अधिक ढील दी गई है. दोनों एफटीए का एक साथ अध्ययन किया जा सकता है. भारत का थाईलैंड के साथ एक अलग एफटीए है जिसे अर्ली हार्वेस्ट स्कीम (ईएचएस) कहा जाता है, जिसमें भारत-आसियान एफटीए की तुलना में मूल नियमों में छूट दी गई है. ईएचएस के जरिए पर्याप्त आयात हो सकता है. दोनों एफटीए का एक साथ अध्ययन किया जा सकता है.