कोच्चि : सीबीआई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) साजिश मामले में केरल उच्च न्यायालय में तीन पूर्व पुलिस अधिकारियों और खुफिया ब्यूरो (IB) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी की अग्रिम जमानत याचिकाओं का शुक्रवार को विरोध किया.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने कहा कि पाकिस्तान की आईएसआई (इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस) जैसी विदेशी गुप्तचर एजेंसियों ने भारत में क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी को पटरी से उतारने से साजिश रची थी और इसके पीछे मौजूद लोगों का पता लगाने के लिए आरोपियों से पूछताछ करने की जरूरत है.
सीबीआई की ओर से पेश होते हुए अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने न्यायमूर्ति अशोक मेनन के समक्ष यह दलील दी. उन्होंने अदालत से कहा कि यह एक गंभीर मामला है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करेगा.
जांच एजेंसी ने यह दलील दी कि आरोपियों--पूर्व पुलिस अधिकारी एस विजयन, थम्पी एस दुर्गा दत्ता और आर बी श्रीकुमार तथा सेवानिवृत्त आईबी अधिकारी पी एस जयप्रकाश--को कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि जांच अभी भी शुरूआती स्तर में है.
एएसजी ने कहा कि यदि अग्रिम जमानत दी गई तो आरोपी कुछ भी खुलासा नहीं करेंगे और महत्वपूर्ण साक्ष्य हाथ नहीं लगेगा. उन्होंने कहा, 'हम यह पता लगाने में सक्षम नहीं हो पाएंगे कि इस साजिश के पीछे किसका हाथ था.
वहीं, आरोपियों ने सीबीआई के दावे का खंडन किया और दलील दी कि वह इसमें आईएसआई की संलिप्तता की एक नयी कहानी लेकर आई है, जबकि केंद्रीय एजेंसी ने 1994-95 में अपनी जांच में कुछ नहीं पाया था.