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कांग्रेस की कार्यपद्धति में बदलाव की जरूरत : हार्दिक पटेल - कांग्रेस की कार्यपद्धति में बदलाव करने की जरूरत

गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल (congress leader Hardik patel) ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर कहा कि पार्टी को अपनी कार्यपद्धति में बदलाव करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि पार्टी के अंदर निर्णय में देरी नहीं होनी चाहिए साथ ही वरिष्ठ नेताओं एवं युवाओं के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए.

Hardik patel
हार्दिक पटेल (फाइल फोटो)

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Published : Mar 13, 2022, 5:04 PM IST

नई दिल्ली: हालिया विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर उसके भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पार्टी की गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल (congress leader Hardik patel) ने रविवार को कहा कि पार्टी को अपनी कार्यपद्धति में बदलाव करने की जरूरत है तथा 'जी 23' समूह के नेताओं समेत सभी से बातचीत करके पार्टी को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए.

उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताते हुए यह भी कहा कि पार्टी के भीतर निर्णयों में विलंब नहीं होना चाहिए तथा वरिष्ठ नेताओं एवं युवाओं के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए. हार्दिक पटेल ने कहा, 'ये बहुत हैरान करने वाले चुनाव परिणाम हैं, खासतौर पर पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में... मुझे लगता है कि इन चुनावों में हमारी जो रणनीति थी उसमें हम विफल साबित हुए. यह हमारे लिए चिंतन का विषय है.'

पटेल ने कहा,'हमें अब कहीं न कहीं अपनी राजनीति बदलनी चाहिए.' कांग्रेस ने हालिया चुनावों में पंजाब की सत्ता खो दी और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी उसे करारी हार झेलनी पड़ी. पाटीदार आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करके सुर्खियों में आये पटेल ने मार्च, 2019 में कांग्रेस में शामिल होकर सक्रिय राजनीति की शुरुआत की. वह जुलाई, 2020 में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बनाये गए. आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के मामले में दोषी करार दिए जाने के कारण फिलहाल वह चुनाव नहीं लड़ सकते.

कांग्रेस के संगठन में बदलाव की जरूरत से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा,'कांग्रेस में बदलाव की जरूरत नहीं है, कार्यपद्धति में बदलाव लाने की जरूरत है. सोनिया का नेतृत्व हो या चाहे प्रियंका या राहुल का नेतृत्व हो, वो सही है. राज्य के नेतृत्व की गलती हम मान सकते हैं. हर राज्य में गुटबंदी हो गई है. राज्यों में हर नेता अपनी-अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में लगा है... ऐसा क्यों नहीं हो सकता कि सब बैठकर यह तय करें कि मिलकर कांग्रेस को मजबूत करना है.'

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पार्टी नेतृत्व पर उठ रहे सवालों पर पटेल ने कहा, 'पूरे चुनाव में राहुल और प्रियंका ने बहुत मेहनत की. जो सवाल उठा रहे हैं उन लोगों ने कितनी मेहनत की? कांग्रेस के नेता जो सवाल उठा रहे हैं, उन्होंने कांग्रेस की मदद के लिए क्या किया?' यह पूछे जाने पर कि फिलहाल पार्टी को क्या जरूरी कदम उठाने चाहिए तो गुजरात के युवा नेता ने कहा, '(कांग्रेस में) निर्णय लेने में समय लग जाता है, उस पर काम होना चाहिए. निर्णय जल्द होना जरूरी है. वरिष्ठ नेताओं और युवाओं के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए. जो लोग पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनको बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए.'

इस सवाल पर कि क्या वह 'जी 23' के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं तो उन्होंने कहा, 'इसमें शामिल लोग वरिष्ठ नेता, सुलझे हुए नेता हैं. उनके साथ चर्चा होनी चाहिए कि वे क्या चाहते हैं? वो भी पार्टी के बड़े चेहरे रह चुके हैं. उनके साथ बातचीत करनी चाहिए. सबके साथ बातचीत करनी चाहिए.' यह पूछे जाने पर कि क्या इन चुनाव नतीजों का इस साल के आखिर में होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावनाओं पर विपरीत असर होगा तो पटेल ने कहा, 'हमारा हौसला टूटने वाला नहीं है. हम लगातार कार्यक्रम कर रहे हैं. गुजरात के चुनाव का उत्तर प्रदेश के चुनाव से क्या लेना-देना. हमें तो गुजरात की परिस्थितियों और मुद्दों पर चुनाव लड़ना है. पिछली बार हमें 82 सीटें मिली थीं, इस बार उससे बेहतर प्रदर्शन करेंगे.'

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उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी के गुजरात में दस्तक देने के बावजूद कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करेगी. उन्होंने सवाल किया,'आम आदमी पार्टी सिर्फ पंजाब में ही क्यों जीती, जबकि उसने गोवा और उत्तराखंड में पूरी ताकत लगाई? कहीं ऐसा तो नहीं कांग्रेस के खिलाफ भाजपा पीछे से आप की मदद कर रही है?' पटेल ने कहा कि कांग्रेस को दो-तीन चेहरों को आगे रखकर गुजरात विधानसभा चुनाव में उतरना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'राज्य में दो तीन चेहरे तैयार कर सकते हैं. फिर विधानसभा क्षेत्र के स्तर पर कुछ चेहरे देने पड़ेंगे कि ये हमारे उम्मीदवार हैं. हमें दो-तीन मोर्चे पर लड़ाई लड़नी होगी. एक मोर्चे पर कभी लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती है, इसका परिणाम हमने पंजाब में देखा. यह मेरी व्यक्तिगत राय है. हमें गुजरात में दो-तीन चेहरों के ऊपर चुनाव की प्रक्रिया तय करनी होगी.'

(पीटीआई-भाषा)

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