नई दिल्ली : गुजरात और महाराष्ट्र पर चक्रवाती तूफान बिपरजॉय (Cyclone Biparjoy) के खतरे को देखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) तैनात है. संघीय आकस्मिक बल के डीजी अतुल करवाल ने कहा कि गुजरात में 18 टीमों को तैनात किया गया है. वहीं, एनडीआरएफ ने देश के उत्तर, पूर्व और दक्षिण में 15 और टीमों को एयरलिफ्ट करने और इन टीमों की ताकत को मजबूत करने के लिए अलर्ट पर रखा है.
दरअसल गुजरात में चक्रवाती तूफान और तेज हवाओं और भारी बारिश का सबसे अधिक खामियाजा भुगतने की भविष्यवाणी की गई है. करवाल ने कहा कि गुजरात सरकार के अधिकारियों द्वारा साझा की गई सूचना के आधार पर गुरुवार सुबह नौ बजे तक गुजरात के तटीय और निचले इलाकों से करीब एक लाख लोगों को निकाला गया है.
एनडीआरएफ के डीजी ने कहा, हमने गुजरात में त्वरित बचाव अभियान चलाने के लिए 18 टीमों को तैनात किया है और तैयार रखा है. राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की अधिकतम चार टीमों को कच्छ जिले में तैनात किया गया है. साल्ट पैन श्रमिकों और गर्भवती महिलाओं को भी क्रमशः सुरक्षित स्थानों और अस्पताल ले जाया गया है. हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जीवन और संपत्ति का नुकसान कम से कम रहे. हमने अपनी टीमों को पेड़ और पोल कटर से लैस किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चक्रवाती प्रभाव खत्म होने के बाद संचार लिंक खुले रहें और जल्दी से बहाल हो जाएं.
करवाल ने कहा कि भारी बारिश के कारण कुछ निचले इलाकों में बाढ़ आ सकती है और इसलिए हमारी टीमों के पास इन क्षेत्रों से लोगों को बचाने के लिए हवा वाली नावें हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर, पूर्व और दक्षिण में पांच-पांच टीमों को तैयार रखा गया है और जरूरत पड़ने पर उन्हें भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के विमानों द्वारा एयरलिफ्ट किया जा सकता है.
एनडीआरएफ ने पहले भी अपने काम का लोहा मनवाया है. ऐसे में जानते हैं क्यों पड़ी इस बल के गठन की जरूरत और कब हुआ इसका गठन. इस बल की ताकत क्या है.
क्यों पड़ी एनडीआरएफ गठन की जरूरत :नब्बे के दशक के मध्य और उसके बाद आपदा प्रतिक्रिया और तैयारी पर अंतरराष्ट्रीय बहस और चर्चा हुई. इसी अवधि के दौरान भारत ने ओडिशा सुपर साइक्लोन (1999), गुजरात भूकंप (2001) और हिंद महासागर सुनामी (2004) जैसी कुछ सबसे गंभीर प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया. तब भारत को एक ऐसा बल बनाने की आवश्यकता महसूस हुई जो कठिन परिस्थितियों में तेजी से लोगों को जान बचा सके.
जानिए कब हुआ एनडीआरएफ का गठन :26 दिसंबर, 2005 को आपदा प्रबंधन अधिनियम को अधिनियमित किया गया. आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों, योजनाओं और दिशानिर्देशों को निर्धारित करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) का गठन किया गया. एनडीआरएफ देश भर में एक प्रतिष्ठित, अद्वितीय बल है जो भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आता है.
पहली चुनौती कोसी बाढ़ के दौरान सामने आई :एनडीआरएफ के लिए आपदा की पहली बड़ी परीक्षा 2008 में कोसी बाढ़ थी. 19 अगस्त 2008 को कोसी बैराज में दरार के तुरंत बाद एनडीआरएफ संसाधनों को बिहार ले जाया गया था. तीन अलग-अलग बटालियनों से 780 बाढ़ बचाव प्रशिक्षित कर्मियों को भेजा गया था.
अपनी स्थापना के बाद से एनडीआरएफ ने आपदा स्थितियों से निपटने में अपनी विशेषज्ञता और करुणा का प्रदर्शन करके लाखों देशवासियों का दिल जीतना जारी रखा है. ऐसी चुनौतियों की फेहरिस्त लंबी है.
- जनवरी 2010 में बेल्लारी (कर्नाटक) में एक छह मंजिला इमारत ढह गई. एनडीआरएफ ने सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से सात दिनों तक चौबीसों घंटे के ऑपरेशन में फंसे हुए 20 जीवित पीड़ितों को बचाया और 29 शवों को निकाला.
- अप्रैल 2012 में जालंधर (पंजाब) में एक बहुमंजिला फैक्ट्री इमारत के ढहने की घटना में, एनडीआरएफ ने मलबे के नीचे फंसे 12 जीवित पीड़ितों को सफलतापूर्वक बचाया और 19 शव भी बरामद किए.